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भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं

  भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं संसार के बंधन से परेशान खड़े हैं, परेशान खड़े हैं ओ मालिक मेरे ओ मालिक मेरे)- 2 १. संसार के निराले कलाकार तुम्ही हो, सब जीव जंतुओं के सृजनहार तुम्हीं हो हम प्रभुका मन में लिए ध्यान खड़े हैं .... संसार के बंधन... २. तुम वेद ज्ञान दाता,पिताओं के पिता हो वह राज कौन सा है, जो तुमसे छिपा हो हम तो हैं अनाड़ी बालक बिना ज्ञान खड़े हैं संसार के बंधन... ३. सुनकर विनय हमारी स्वीकार करोगे मंझधार में है नैया प्रभु पार करोगे हर कदम कदम पर आके ये तूफान खड़े हैं संसार के बंधन... ४.दुनिया में आप जैसा कहीं ओर नहीं है इस ठौर के बराबर कहीं ठौर नहीं है अपनी तो पथिक यह मंजिल जो पहचान खड़े हैं संसार के बंधन....

मनचाही संतान* की परमौषधि है - *"ब्रह्मचर्य

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  *"मनचाही संतान* की परमौषधि है - *"ब्रह्मचर्य"*  यदि मनचाही सन्तान चाहते हैं, तो मन, वचन और शरीर से सर्वावस्था में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें । ब्रह्मचर्य ही वह औषधि है, जिसके पालन से कुल की संस्कार तथा राष्ट्रोन्नति के योग्य सन्तानों को जन्म दिया जा सकता है |   ब्रह्मचर्य से ही मनुष्यों में दिव्य गुणों को निर्माण होता है | मनवाञ्छित सन्तान प्राप्ति के लिए योगेश्वर श्रीकृष्ण एक अद्वितीय उदाहरण हैं | वेद कहता है - "मनुर्भव जनया दैव्यं जनम ।"          अर्थात् मनुष्य बनो । "मननातिति मनुष्यः ।"           विचार कर विवेक से कर्म करने के कारण मनुष्य कहाता है । और दिव्य अर्थात् उत्तमोत्तम गुणों को प्राप्त करें तथा उत्तरोत्तर गुणों से युक्त सन्तानों को जन्म दें ।  परन्तु, यह भी ध्यान रखें । "जो दिव्य गुणों से हीन, असंयमी, व्यभिचारी अर्थात् ब्रह्मचर्यहीन सन्तानों को जन्म देते हैं, वह स्वयं ही लम्पट, अजितेन्द्रिय, वासना के कामी कीडे़ और पशुओं से भी निकृष्ट होते हैं, उनकी सन्तानें, सन्तानें नहीं अपितु एक दुर्घटना होती है ...

ओ३म् नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊँ गली गली ले लो रे कोई ओ३म् का प्यारा

ओ३म् नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊँ गली गली  ले लो रे कोई ओ३म् का प्यारा  आवाज लगाऊँ गली-गली  ओ३म् नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊँ गली गली  माया के दीवानों सुन लो  इक दिन ऐसा आयेगा  धन दौलत और रूप खजाना  यहीं धरा रह जायेगा  सुन्दर काया माटी होगी  चर्चा होगी गली-गली  ओ३म् नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊँ गली गली  मित्र-प्यारे और सगे-सम्बन्धी  एक दिन भूल जायेंगे  कहते हैं जो अपना-अपना  आग में तुझे जलायेंगे  दो दिन का ये चमन खिला है  फिर मुरझाए कली-कली  ओ३म् नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊँ गली गली  क्यों करता है मेरी-तेरी  तज दे उस  अभिमान को  छोड़ जगत् के झूठे धन्धे  जप ले प्रभु के नाम को  गया समय फिर हाथ न आये  तब पछताये घड़ी धड़ी  ओ३म् नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊँ गली गली  जिसको अपना कह-कह के  मूरख तू इतराता है  छोड़ के बन्दे साथ विपत्त/विपद् में  कभी न कोई जाता है  दो दिन का ये रैन-बसेरा  आखिर होगी चला चली   ओ३म् नाम के हीरे मोती मैं बिखरा...

डूबतों को बचा लेने वाले, मेरी नैया है तेरे हवाले।

डूबतों को बचा लेने वाले, मेरी नैया है तेरे हवाले। लाख अपनों को मैंने पुकारा, सबके सब कर गए हैं किनारा।  और देता न कोई दिखाई, सिर्फ तेरा ही अब तो सहारा।  कौन तुझ बिन भँवर से निकाले। मेरी नैया है तेरे हवाले..……....... जिस समय तू बचाने पे आए, आग में भी बचा कर दिखाए।  जिस पर तेरी दया दृष्टि होवे, उसपे कैसे कहीं आँच आए।  आँधियों में भी तू ही सँभाले ।  मेरी नैया है तेरे हवाले....….............. पृथ्वी सागर व पर्वत बनाए, तूने धरती पे दरिया बहाए।  चाँद सूरज करोड़ों सितारे, फूल आकाश में भी खिलाए।  तेरे सब काम जग से निराले।  मेरी नैया है तेरे हवाले.............. बिन तेरे चैन मिलता नहीं है, फूल आशा का खिलता नहीं है।  तेरी मर्जी बिना तो जहाँ में, 'पथिक' पत्ता भी हिलता नहीं है।  तेरे वश में अंधेरे उजाले ।। मेरी नैया है तेरे हवाले..................

प्रभु तेरी भक्ति का वर मांगते हैं। झुके तेरे दर पे वो सर मांगते हैं।।

 प्रभु तेरी भक्ति का वर मांगते हैं।  झुके तेरे दर पे वो सर मांगते हैं।। बुरे भाव से जो न देखे किसी को।  हम आँखों में ऐसी नजर मांगते हैं।। प्रभु तेरी भक्ति का........... पड़े अगर मुसीबत न झोली पसारें। हम हाथों में ऐसा हुनर मांगते हैं।।  पुकारे कोई दीन अबला हमें गर।  घड़ी पल में पहुँचे वो वर मांगते हैं।। प्रभु तेरी भक्ति का............. जो बेताब जुल्म और सितम देखकर हो।  तड़पता हुआ वो जिगर मांगते हैं।।  दुःखी या अनाथों की सेवा हो जिससे ।  प्रभु अपने घर ऐसा जर मांगते हैं।। प्रभु तेरी भक्ति का.............

प्रभु जी इतनी सी दया कर दो, हमको भी तुम्हारा प्यार मिले

  प्रार्थना प्रभु जी इतनी सी दया कर दो, हमको भी तुम्हारा प्यार मिले। कुछ और भले ही मिले न मिले, प्रभु दर्शन का अधिकार मिले । । 1 ।। जिस जीवन में जीवन ही नहीं, वह जीवन भी क्या जीवन है। जीवन तब जीवन बनता है, जब जीवन का आधार मिले।।2।। प्रभु जी इतनी सी दया कर दो...................... सब कुछ पाया इस जीवन में, बस एक तमन्ना बाकी है। हर प्रेम पुजारी के अपने, मन मंदिर में दातार मिले।।3।। प्रभु जी इतनी सी दया कर दो............. जिसने तुमसे जो कुछ मांगा, उसने ही वही तुम से पाया।  दुनिया को मिले दुनिया लेकिन, भक्तों को तेरा दरबार मिले।।4।। प्रभु जी इतनी सी दया कर दो.......... हम जन्म जन्म के प्यासे हैं, और तुम करुणा के सागर हो। करुणानिधि से करुणा रस की, एक बूँद हमें इक बार मिले। ।5।। प्रभु जी इतनी सी दया कर दो.............. कब से प्रभु दर्शन पाने की, हम आस लगाए बैठे हैं। पल दो पल भीतर आने की, अनुमति अनुपम सरकार मिले। ।6।। प्रभु जी इतनी सी दया कर दो.......... इस मार्ग पर चलते-चलते, सदियाँ ही नहीं युग बीत गए। मिल जाए 'पथिक' मंजिल अपनी, हमको भी तुम्हारा द्वार मिले। ।7।। प्रभु जी इतनी सी दया ...

कण-कण में जो रमा है, हर दिल में है समाया। उसकी उपासना ही कर्त्तव्य है बताया।।

 ईश महिमा कण-कण में जो रमा है, हर दिल में है समाया।  उसकी उपासना ही कर्त्तव्य है बताया।। दिल सोचता है खुद वो, कितना महान होगा।  इतना महान जिसने, संसार है बनाया।। कण-कण में जो रमा है............. देखो ये तन के पुर्जे, करते हैं काम कैसे।  जोड़ों के बीच कोई, कब्जा नहीं लगाया।। कण-कण में जो रमा है............ इक पल में रोशनी से, सारा जहान चमका।  सूरज का एक दीपक, आकाश में जलाया।। कण-कण में जो रमा है.......... अब तक यह गोल धरती, चक्कर लगा रही है।  फिरकी बना के कैसी, तरकीब से घुमाया।। कण-कण में जो रमा है................. कठपुतलियों का हम ने, देखो अजब तमाशा।  छुप कर किसी ने सब को, संकेत से नचाया।। कण-कण में जो रमा है............ हर वक्त बन के साथी, रहता है साथ सब के।  नादान 'पथिक' उसको, तू जानने ना पाया।। कण-कण में जो रमा है.........

यज्ञ चिकित्सा, यज्ञोपैथी या यज्ञ चिकित्सा पद्धति, अग्नि की ऊष्मीय ऊर्जा और मंत्रों के ध्वनि कंपन का इस्तेमाल करके बीमारियों का इलाज करने का एक तरीका है

यज्ञ चिकित्सा में, विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए अग्नि-कुंड में हर्बल और वनस्पति औषधियों से हवन किया जाता है.   हवन के धुएं और वाष्प को सांस के ज़रिए शरीर में लेने से रोग की जड़ें कमज़ोर होती हैं.   यज्ञ चिकित्सा के ज़रिए कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है, जैसे कि न्यूरोसिस, मनोविकृति, सिज़ोफ़्रेनिया, अवसाद, विषाद, और हिस्टीरिया.   यज्ञ चिकित्सा के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए, वैदिक और आयुर्वेदिक ग्रंथों का अध्ययन किया जा सकता है.   यज्ञ चिकित्सा से जुड़ी कुछ और बातेंः यज्ञ एक वैज्ञानिक पद्धति है जिसका उद्देश्य अग्नि की ऊष्मीय ऊर्जा और मंत्रों के ध्वनि कंपन की सहायता से बलि दिए गए पदार्थ के सूक्ष्म गुणों का बेहतरीन उपयोग करना है। यज्ञ की प्रक्रिया में, विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए अग्नि-कुंड या ईंट और मिट्टी के ढांचे में विशिष्ट प्रकार की लकड़ी की अग्नि में हर्बल और वनस्पति औषधीय आहुति दी जाती है जिसे (यज्ञ) कुंड कहा जाता है। यज्ञ-अग्नि में धीरे-धीरे दहन, उर्ध्वपातन और सबसे प्रमुख रूप से, बलि दिए गए हर्बल और वनस्पति औषधीय और पौष्टिक पदार्थों का वाष्प अवस्थ...