यज्ञ चिकित्सा, यज्ञोपैथी या यज्ञ चिकित्सा पद्धति, अग्नि की ऊष्मीय ऊर्जा और मंत्रों के ध्वनि कंपन का इस्तेमाल करके बीमारियों का इलाज करने का एक तरीका है
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
- यज्ञ चिकित्सा में, विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए अग्नि-कुंड में हर्बल और वनस्पति औषधियों से हवन किया जाता है.
- हवन के धुएं और वाष्प को सांस के ज़रिए शरीर में लेने से रोग की जड़ें कमज़ोर होती हैं.
- यज्ञ चिकित्सा के ज़रिए कई तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है, जैसे कि न्यूरोसिस, मनोविकृति, सिज़ोफ़्रेनिया, अवसाद, विषाद, और हिस्टीरिया.
यज्ञ एक वैज्ञानिक पद्धति है जिसका उद्देश्य अग्नि की ऊष्मीय ऊर्जा और मंत्रों के ध्वनि कंपन की सहायता से बलि दिए गए पदार्थ के सूक्ष्म गुणों का बेहतरीन उपयोग करना है। यज्ञ की प्रक्रिया में, विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए अग्नि-कुंड या ईंट और मिट्टी के ढांचे में विशिष्ट प्रकार की लकड़ी की अग्नि में हर्बल और वनस्पति औषधीय आहुति दी जाती है जिसे (यज्ञ) कुंड कहा जाता है। यज्ञ-अग्नि में धीरे-धीरे दहन, उर्ध्वपातन और सबसे प्रमुख रूप से, बलि दिए गए हर्बल और वनस्पति औषधीय और पौष्टिक पदार्थों का वाष्प अवस्था में परिवर्तन होता है।
- शरीर के प्रत्येक भाग तक सीधी पहुंच।
- दर्द रहित, जोखिम रहित, सामंजस्यपूर्ण प्रभाव
- मनोदैहिक विकारों के लिए उत्कृष्ट उपाय
- न्यूरोसिस, मनोविकृति, सिज़ोफ्रेनिया, अवसाद, विषाद, हिस्टीरिया का उपचार।
यज्ञ चिकित्सा का मूल सिद्धांत यह है कि स्थूल के बजाय सूक्ष्म होती हुई वस्तुएं या औषधियां ज्यादा असरदार होती जाती हैं। विशिष्ट मंत्रों के साथ जब औषधि युक्त सामग्री से हवन किया जाता है, तो वह हवन का धुआं रोम छिद्रों और नासिका से शरीर में प्रवेश करता है और रोग की जड़ें कटने लगती हैं। आरोग्य होने के लिए जो यज्ञ किए जाते हैं, उन्हें ‘भैषा यज्ञ’ कहते हैं। यज्ञ के संचालक विद्वान मर्मज्ञ ब्रह्मा होते थे। ब्रह्मा अर्थात कोई चार मुंह वाले विष्णु की नाभि से निकले कमल पर बैठे देवसत्ता नहीं। ब्रह्मा से आशय उस विद्वान मनीषी से है, जो यज्ञ विधि का सूक्ष्म परीक्षण कर जान लेते थे कि वायु और आकाश में क्या विकार आ रहा है, उससे कौन से रोग फैल सकते हैं, उसके लिए किन वनौषधियों के हवन का आयोजन होता ह
यज्ञ चिकित्सा का मूल सिद्धांत यह है कि स्थूल के बजाय सूक्ष्म होती हुई वस्तुएं या औषधियां ज्यादा असरदार होती जाती हैं। विशिष्ट मंत्रों के साथ जब औषधि युक्त सामग्री से हवन किया जाता है, तो वह हवन का धुआं रोम छिद्रों और नासिका से शरीर में प्रवेश करता है और रोग की जड़ें कटने लगती हैं। आरोग्य होने के लिए जो यज्ञ किए जाते हैं, उन्हें ‘भैषा यज्ञ’ कहते हैं। यज्ञ के संचालक विद्वान मर्मज्ञ ब्रह्मा होते थे। ब्रह्मा अर्थात कोई चार मुंह वाले विष्णु की नाभि से निकले कमल पर बैठे देवसत्ता नहीं। ब्रह्मा से आशय उस विद्वान मनीषी से है, जो यज्ञ विधि का सूक्ष्म परीक्षण कर जान लेते थे कि वायु और आकाश में क्या विकार आ रहा है, उससे कौन से रोग फैल सकते हैं, उसके लिए किन वनौषधियों के हवन का आयोजन होता है?
यज्ञ से सेहत में होता है सुधार
रोगी के शरीर में कौन-सी व्याधि बढ़ी हुई है, कौन से तत्व घट बढ़ गए हैं? उनकी पूर्ति और शरीर के संतुलन को साधने के लिए किन औषधियों की आहुति दी जानी चाहिए? इस तरह के विवेक विवेचन से आहुतियां दिलाकर हवन कराया जाता था। भावप्रकाश, निघंटु एवं अन्य आयुर्वेद ग्रंथों में यज्ञ-चिकित्सा में प्रयुक्त होने वाली जिन औषधियों को प्रमुखता दी गई है, उनमें अगर, तगर, गुग्गुल, ब्राह्मी, बड़ी इलायची, पुनर्नवा, नागकेसर, चंदन, कपूर, देवदार और मोथा आदि मुख्य हैं। सभी औषधियां समान मात्रा में ली जाती हैं। इन्हें कूट-पीसकर इनके दसवें भाग के बराबर शक्कर और उतना ही घी मिलाकर हवन करने से शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में लाभ मिलता है। वैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा भी अब यह सिद्ध हो चुका है। आवश्यकतानुसार दिन में तीन बार और रात को एक-दो बार किसी पात्र में अग्नि रखकर थोड़ी-सी औषधीय हवन सामग्री थोड़ी देर के लिए रोगी के निकट धूप की भांति जलाई जा सकती है। हवन करते समय तैयार औषधियों में दसवां भाग शर्करा एवं दसवां भाग घृत मिला लेना चाहिए। कोई औषधि या वस्तु अधिक महंगी हो अथवा अनुपलब्ध हो, तो उसकी पूर्ति अन्य दूसरी औषधियों की मात्रा बढ़ाकर की जा सकती है।
यज्ञ में गायत्री मंत्र का महत्व
शास्त्रों में सूर्य को स्वास्थ्य का केंद्र माना गया है। सूर्य में रोग-निवारण की अद्भुत शक्ति है। निरोगता, बलिष्ठता एवं दीर्घायु के लिए 'श्री सूर्य गायत्री' का जाप भी किया जा सकता है। गहन वैज्ञानिक अध्ययन-अनुसंधानों के आधार पर पाया गया है कि जो औषधियां आयुर्वेद में जिन रोगों के लिए गुणकारी मानी गई हैं, उन्हें हवन सामग्री के रूप में घृत और शक्कर मिलाकर 'श्री सूर्य गायत्री' मंत्र के साथ रोगी के निकट हवन करने से रोगी को अधिक लाभ मिलता है। यज्ञोपचार प्रक्रिया में रोगानुसार गायत्री महामंत्र तथा उससे संबंधित चौबीस गायत्री मंत्रों द्वारा हवन किया जाता है। यज्ञ चिकित्सा करते समय उन्हीं औषधियों को चूर्ण के रूप में सुबह-शाम एक चम्मच लेने से लाभ मिलता है। हवन के बाद पास रखे जल में दूर्वा, कुश अथवा पुष्प डुबोकर गायत्री मंत्र पढ़ते हुए रोगी पर अभिसिंचन करना चाहिए। साथ ही यज्ञ की भस्म मस्तक, हृदय, कंठ, पेट नाभि एवं दोनों भुजाओं पर लगानी चाहिए। इसी प्रकार घृतपात्र में जो घृत बचा रहता है, उसमें से कुछ बूंदें लेकर रोगी के मस्तक एवं हृदय पर लगाना चाहिए। सामान्यतः देखा गया है कि इन प्रयोगों से रोगी को लाभ मिलता है। इसका प्रभाव रोगी के शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही क्षेत्रों में पड़ता है।
online pandit ji
online pandit ji near me
online pandit ji greater noida
online pandit ji in delhi
online pandit ji greater noida. reviews
online pandit ji gaur city
online pandit ji noida
online pandit ji chat free
online pandit ji
online pandit ji near me
online pandit ji greater noida
online pandit ji in delhi
online pandit ji greater noida. reviews
online pandit ji gaur city
online pandit ji noida
online pandit ji chat free
online pandit ji contact number
online pandit ji for kundli
book online pandit ji
online pandit ji astrologer
online pandit ji app
pandit ji astrology online free
pandit ji astrology prediction online
aacharya sandeep pandey online pandit ji in noida
pandit ji astrology prediction free online
online pandit number
online pandit ji booking
pandit ji app online
pandit ji astrology online
a s pandit.com
pandit online free
pandit online booking
pandit ji online chat
online pandit jee
online pandit ji bangalore
online pandit ji se baat
arya samaj pandit ji book online priest
best pandit ji online
pandit ji online bangalore
book online pandit
pandit online bangalore
online pandit ji consultation
online pandit ji com
online pandit ji chat
gaur city online pandit ji greater noida reviews
gaur city online pandit ji
online pandit ji delhi
pandit ji online
e pandit ji
e pandit
online pandit ji for puja
online pandit ji for pooja
online pandit ji for marriage
online free pandit ji
find pandit ji online
pf online customer care
online pandit ji greater noida ग्रेटर नोएडा
online pandit ji greater noida reviews
pandit ji online horoscope
online pandit ji in greater noida
online pandit ji in lucknow
online pandit ji in bangalore
online pandit ji in noida
online pandit ji ka number
online pandit ji ke number
pandit mishra ji ki online puja
pandit mishra ji ki online katha
pandit pradeep mishra ji ki online katha
pandit pradeep mishra ji ki online puja
online pandit ji lucknow
pandit ji toll free number
pandit number
lic online policy customer care
lic online portal not working
lic online pan registration
lic online paid statement
lic online pan update
lic online pan card update
lic india online pan registration
online puja pandit mishra ji
mp online janam praman patra
mp pandit books
mp online jati praman patra
online pandit ji number
aacharya sandeep pandey online pandit ji in noida reviews
pandit ji order online
aacharya sandeep pandey online pandit ji in noida photos
pandit ji online puja
quiz on pandit jawaharlal nehru
pandit ji online registration
r s pandit
pandit ji se online chat
talk to pandit ji online free
talk to pandit ji online
online pandit ji varanasi
pandit online services
online chat with pandit ji
free online chat with pandit ji
chat with pandit ji online
panditji.com
pandit online mumbai
pandit online pune
3 pandit
4 pandit
pandit online
pandit 99
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें