मनचाही संतान* की परमौषधि है - *"ब्रह्मचर्य
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*"मनचाही संतान* की परमौषधि है - *"ब्रह्मचर्य"*
यदि मनचाही सन्तान चाहते हैं, तो मन, वचन और शरीर से सर्वावस्था में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें ।
ब्रह्मचर्य ही वह औषधि है, जिसके पालन से कुल की संस्कार तथा राष्ट्रोन्नति के योग्य सन्तानों को जन्म दिया जा सकता है |
ब्रह्मचर्य से ही मनुष्यों में दिव्य गुणों को निर्माण होता है |
मनवाञ्छित सन्तान प्राप्ति के लिए योगेश्वर श्रीकृष्ण एक अद्वितीय उदाहरण हैं |
वेद कहता है -
"मनुर्भव जनया दैव्यं जनम ।"
अर्थात् मनुष्य बनो ।
"मननातिति मनुष्यः ।"
विचार कर विवेक से कर्म करने के कारण मनुष्य कहाता है ।
और दिव्य अर्थात् उत्तमोत्तम गुणों को प्राप्त करें तथा उत्तरोत्तर गुणों से युक्त सन्तानों को जन्म दें ।
परन्तु, यह भी ध्यान रखें ।
"जो दिव्य गुणों से हीन, असंयमी, व्यभिचारी अर्थात् ब्रह्मचर्यहीन सन्तानों को जन्म देते हैं, वह स्वयं ही लम्पट, अजितेन्द्रिय, वासना के कामी कीडे़ और पशुओं से भी निकृष्ट होते हैं, उनकी सन्तानें, सन्तानें नहीं अपितु एक दुर्घटना होती है ।
*पुनश्च* :- उत्तम सन्तान किसी पीर-फकिर या बाबा के पास जाने से नहीं मिलती है, वह आपके संयमी जीवन तथा ब्रह्मचर्य के तप से और यज्ञीय भावों से प्राप्त होता है |
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