भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं

  भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं संसार के बंधन से परेशान खड़े हैं, परेशान खड़े हैं ओ मालिक मेरे ओ मालिक मेरे)- 2 १. संसार के निराले कलाकार तुम्ही हो, सब जीव जंतुओं के सृजनहार तुम्हीं हो हम प्रभुका मन में लिए ध्यान खड़े हैं .... संसार के बंधन... २. तुम वेद ज्ञान दाता,पिताओं के पिता हो वह राज कौन सा है, जो तुमसे छिपा हो हम तो हैं अनाड़ी बालक बिना ज्ञान खड़े हैं संसार के बंधन... ३. सुनकर विनय हमारी स्वीकार करोगे मंझधार में है नैया प्रभु पार करोगे हर कदम कदम पर आके ये तूफान खड़े हैं संसार के बंधन... ४.दुनिया में आप जैसा कहीं ओर नहीं है इस ठौर के बराबर कहीं ठौर नहीं है अपनी तो पथिक यह मंजिल जो पहचान खड़े हैं संसार के बंधन....

कण-कण में जो रमा है, हर दिल में है समाया। उसकी उपासना ही कर्त्तव्य है बताया।।

 ईश महिमा


कण-कण में जो रमा है, हर दिल में है समाया। 

उसकी उपासना ही कर्त्तव्य है बताया।।


दिल सोचता है खुद वो, कितना महान होगा।

 इतना महान जिसने, संसार है बनाया।।

कण-कण में जो रमा है.............


देखो ये तन के पुर्जे, करते हैं काम कैसे। 

जोड़ों के बीच कोई, कब्जा नहीं लगाया।।

कण-कण में जो रमा है............


इक पल में रोशनी से, सारा जहान चमका।

 सूरज का एक दीपक, आकाश में जलाया।।

कण-कण में जो रमा है..........


अब तक यह गोल धरती, चक्कर लगा रही है। 

फिरकी बना के कैसी, तरकीब से घुमाया।।

कण-कण में जो रमा है.................


कठपुतलियों का हम ने, देखो अजब तमाशा। 

छुप कर किसी ने सब को, संकेत से नचाया।।

कण-कण में जो रमा है............


हर वक्त बन के साथी, रहता है साथ सब के। 

नादान 'पथिक' उसको, तू जानने ना पाया।।

कण-कण में जो रमा है.........



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