भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं

  भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं संसार के बंधन से परेशान खड़े हैं, परेशान खड़े हैं ओ मालिक मेरे ओ मालिक मेरे)- 2 १. संसार के निराले कलाकार तुम्ही हो, सब जीव जंतुओं के सृजनहार तुम्हीं हो हम प्रभुका मन में लिए ध्यान खड़े हैं .... संसार के बंधन... २. तुम वेद ज्ञान दाता,पिताओं के पिता हो वह राज कौन सा है, जो तुमसे छिपा हो हम तो हैं अनाड़ी बालक बिना ज्ञान खड़े हैं संसार के बंधन... ३. सुनकर विनय हमारी स्वीकार करोगे मंझधार में है नैया प्रभु पार करोगे हर कदम कदम पर आके ये तूफान खड़े हैं संसार के बंधन... ४.दुनिया में आप जैसा कहीं ओर नहीं है इस ठौर के बराबर कहीं ठौर नहीं है अपनी तो पथिक यह मंजिल जो पहचान खड़े हैं संसार के बंधन....

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 आचार्य श्री प्रेम आर्य

एक भारतीय वैदिक पुरोहित, आध्यात्मिक नेता और कथावाचक हैं। इसके अतिरिक्त, वे आर्य समाज मंदिर, मानपुर, गया जी  के सदस्य हैं ।

नाम - आचार्य श्री प्रेम आर्य 

जन्म स्थान - जनकपुर, गया जी, बिहार 

जन्म तिथि - 01/08/1993

शिक्षा - प्रारम्भिक शिक्षा गया शहर में ही हुआ, तत्पश्चात उच्च शिक्षा - अन्तर्राष्ट्रीय उपदेशक महाविद्यालय टंकारा, राजकोट, गुजरात से प्राप्त किये।

पेशा - वैदिक पुरोहित एवं आध्यात्मिक गुरु 2010 ईस्वी से अबतक।

धर्म - सत्य सनातन वैदिक धर्म  (हिन्दू)। 

बेवसाइट - www.aryasamajmandirpandit.in 



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