आर्य समाज में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया बहुत ही सरल और वैदिक परंपराओं के अनुसार होती है।
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आर्य समाज में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया बहुत ही सरल और वैदिक परंपराओं के अनुसार होती है। यहाँ कुछ मुख्य बातें हैं
मृतक को स्नान कराना
मृतक को गंगाजल या स्वच्छ जल से स्नान कराया जाता है।
- *वस्त्र पहनाना*: मृतक को स्वच्छ वस्त्र पहनाए जाते हैं।
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- *अर्थी पर रखना*: मृतक को बांस की अर्थी पर लिटाया जाता है और सफेद वस्त्र से ढक दिया जाता है।
- *मंत्र उच्चारण*: आर्य समाज के लोग वेदों के आधार पर मंत्र उच्चारण करते हुए समसान घाट पर जाते हैं।
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- *दाह संस्कार*: मृतक का दाह संस्कार किया जाता है।
और साथ में सुगन्धित सामग्री से वेद मंत्रों द्वारा आहुति भी दी जाती है।
- *अस्थियां एकत्रित करना*: दाह संस्कार के बाद अस्थियों को एकत्रित किया जाता है ।
- *श्राद्ध कर्म*: आर्य समाज में श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता है, बल्कि जीवित रहते ही माता-पिता और गुरुओं की सेवा करना ही सच्ची श्रद्धा माना जाता है।
आर्य समाज के अनुसार, मृत्यु के बाद शोक मनाने के बजाय जितनी जल्दी हो सके सामान्य जीवन में लौट जाना चाहिए। इसीलिए आर्य समाज में तीसरे दिन ही शांति पाठ सम्पन्न करा दिया जाता है।
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