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अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में ।

अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में । है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में ।।१।। मेरा निश्चय है बस एक यही, इक बार तुम्हें पा जाऊँ मैं । अर्पण कर दूँ जगती भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में ।। या तो मैं जग से दूर रहूँ और जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ । इस पार तुम्हारे हाथों में, उस पार तुम्हारे हाथों में ।।  यदि मानुष ही मुझे जन्म मिले, तब तव चरणों का पुजारी बनूँ ।  मुझ पूजक की इक-इक रग का, हो तार तुम्हारे हाथों में ।।  जब-जब संसार का बन्दी बन, दरबार तुम्हारे आऊँ मैं ।  हो मेरे पापों का निर्णय, सरकार तुम्हारे हाथों में । । मुझ में तुझमें है भेद यही, मैं नर हूँ तू नारायण है ।  मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में ।। https://youtu.be/pmPMb2y3dow

मृत्यु के १४ प्रकार

 *मृत्यु के १४ प्रकार* ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा? रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे? अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते - साँस तो लुहार की धौंकनी भी लेती है! तब अंगद ने मृत्यु के 14  प्रकार बताए- कौल कामबस कृपिन विमूढ़ा। अतिदरिद्र अजसि अतिबूढ़ा।। सदारोगबस संतत क्रोधी। विष्णु विमुख श्रुति संत विरोधी।। तनुपोषक निंदक अघखानी। जीवत शव सम चौदह प्रानी।। 1. *कामवश:* जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है। 2. *वाममार्गी:* जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो; नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं। 3. *कंजूस:* अति कंजूस...

अंतिम संस्कार सेवा funeral ceremony service

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"हमारी अंतिम संस्कार सेवा आपके प्रियजनों के लिए एक सम्मानजनक और शांतिपूर्ण विदाई प्रदान करने के लिए समर्पित है। हम समझते हैं कि इस कठिन समय में आपको सहारे और समर्थन की आवश्यकता होती है, और हमारा उद्देश्य आपको इस प्रक्रिया में सहायता करना है। हमारी सेवाओं में शामिल हैं: अंतिम संस्कार की व्यवस्था शव यात्रा की व्यवस्था अंतिम संस्कार स्थल की व्यवस्था पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों की व्यवस्था हमारा उद्देश्य आपके प्रियजनों को एक सम्मानजनक और शांतिपूर्ण विदाई देना है, जो आपके लिए एक सुखद अनुभव प्रदान करे।"

आर्यसमाज का मंतव्य क्या है?

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  आर्यसमाज का मंतव्य क्या है? आज एक मित्र मिला। वह फेसबुक से मुझसे जुड़ा हुआ है। कट्टर पौराणिक है। सामान्य चर्चा के बाद बोला तुम आर्यसमाजी जब देखों सनातन धर्म की कमी निकालते रहते हो। जब देखों निंदा करते रहते हो। मैंने कहा तुम्हारा उत्तर एक कहानी के माध्यम से दूँ तो कैसा रहेगा।  वह बोला सुनाओ। मैंने सुनाना शुरू किया- "एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था । चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे पर लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था। तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे। उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी...

वेलेंटाइन डे मनाने से पहले उसका इतिहास जान लो, फिर आप मनाओगे मातृ-पितृ पूजन दिवस

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 *वेलेंटाइन डे मनाने से पहले उसका इतिहास जान लो, फिर आप मनाओगे मातृ-पितृ पूजन दिवस* 14 February 2025 *🚩भारत में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं कि वेलेंटाइन डे की शुरुआत कैसे हुई और यह क्यों मनाया जा रहा है। इससे हमें फायदा होगा या नुकसान, ये हमारी संस्कृति के अनुसार है कि नहीं- इस पर तनिक भी विचार न कर टीवी-सिनेमा मीडिया में दिखाई जाने वाली चीजों से प्रभावित होकर लोग उनकी नकल करने लग जाते हैं।* *🚩आइये आज आपको वैलेंटाइन डे का सच्चा इतिहास बताते हैं......* *🚩रोम के राजा क्लाउडियस ब्रह्मचर्य की महिमा से परिचित थे, इसलिए उन्होंने अपने सैनिकों को शादी करने के लिए मना किया था ताकि वे शारीरिक बल और मानसिक दक्षता से युद्ध में विजय प्राप्त कर सकें। रोम के चर्च के ईसाई धर्मगुरु वेलेंटाइन जो स्वयं ईसाई पादरी होने के कारण बाहर से नहीं दिखा सकते थे कि वे ब्रह्मचर्य के विरोधी हैं इसलिए पादरी वेलेंटाइन ने गुप्त ढंग से सैनिकों की शादियाँ कराईं। राजा को जब यह बात पता चली तो उन्हें दोषी घोषित किया और इस पादरी वेलेंटाइन को 14 फरवरी के दिन फाँसी दे दी गयी। सन् 496 से ईसाई पोप गैलेसियस ने उनकी याद में 14...

वैदिक कर्मफल व्यवस्था

 वैदिक कर्मफल व्यवस्था सुख दुख का कारण मनुष्य के कर्म (काम या कार्य) हैं, ग्रह नहीं। मनुष्य जैसा काम करता है वैसा ही फल पाता है। ऐसा काम जिससे किसी का भला हुआ हो उसके बादले में ईष्वर की व्यवस्था से सुख प्राप्त होता है और ऐसा काम जिससे किसी का बुरा हुआ हो उसके बदले में मनुष्य को दुख मिलता है। ईष्वर पूर्ण रूप से न्यायकारी है। वह किसी की सिफारिष नहीं मानता। वह रिष्वत नहीं लेता। उसका कोई एजेंट या पीर, पैगम्बर या अवतार नहीं है। अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के कामों का फल अलग अलग भोगना पड़ता है। वे एक दूसरे को काटकर बराबर नहीं करते। अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के कामों का अलग अलग हिसाब रहता है। ऐसा नहीं है कि एक अच्छा काम कर दिया और एक उतना ही बुरा काम कर दिया ओर वे बराबर होकर कट गए और हमें कोई फल न मिले। दोनों का अलग अलग फल भोगना पड़ता है। अच्छे और बुरे कामों के फलस्वरूप सुख और दुख साथ साथ भी चल सकते हैं। कुछ अच्छे कामों का फल हम भोग रहे हैं, साथ ही कुछ बुरे कार्यों का फल भी भोग रहे हैं। मनुष्य जन्म में किए कामों के अनुसार ही आगे का जन्म मिलता है। अगर बुरे काम की बजाए अच्छे काम ज्यादा हों ...

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अन्न दान कहां, कब और कैसे करें ?

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 अन्नदान एक बहुत ही महान और प्रभावशाली दान है। अन्नदान दानों में सबसे आसान है । आइए देखते हैं अन्नदान और साधारण दान में भेद क्या है । साधारण दान में नियमों का ख्याल रखना पडता है । साधारण दान में देश, काल और पात्र के विनिर्देशों को पूरा करना पडता है । तभी उसे दान के रूप में मान्यता प्राप्त होती है ।   दान में देश महत्त्वपूर्ण है । देश का अर्थ है वह स्थान जहाँ दान किया जाता है। यह स्थान उस विशेष दान के अनुरूप होना चाहिए जो किया जा रहा है। सामान्य तौर पर, पुण्य नदियों के तट पर या काशी जैसे पवित्र स्थानों पर किया जाने वाला दान स्थान की पवित्रता के कारण अधिक फलदायी होता है। इससे दान के पुण्य की वृद्धि होती है। यह इसलिए भी है क्योंकि पवित्र स्थानों पर दान करने में अधिक मेहनत लगती है और खर्च भी। उदाहरण के लिए, आप दिल्ली के निवासी हैं, किसी को घर बुलाना और उसे कपड़े देना आसान है। काशी तक जाकर वही करने के लिए अधिक शारीरिक प्रयास और खर्च भी करना पड़ता है। तो अगर आपका संकल्प दृढ है, तभी काशी तक जाकर पुण्य करेंगे । दान के फल में आपका विश्वास दृढ है तो ही ऐसा करेंगे । यह दान की गुणवत्ता और...

आप हमेशा स्वस्थ रहें यही प्रार्थना करते हैं।

 *दवा रहित जीवन जीना* *1.* जल्दी सोना और जल्दी उठना दवा है। *2.* ऊँ का जाप दवा है। *3.* योग प्राणायाम ध्यान और व्यायाम दवा है। *4.* सुबह-शाम टहलना भी दवा है। *5.* उपवास सभी बीमारियों की दवा है। *6.* सूर्य-प्रकाश भी दवा है। *7.* मटके का पानी पीना भी दवा है। *8.* ताली बजाना भी दवा है। *9.* भोजन को खूब चबाना और पानी की तरह लेना भी दवा है। *10.* भोजन की तरह चबाकर पानी पीना भी दवा है। *11.* भोजन ग्रहण करने के पश्चात वज्रासन में बैठना दवा है। *12.* खुश रहने का निर्णय भी दवा है। *13.* कभी-कभी मौन भी दवा है। *14.* हंसी-मजाक दवा है। *15.* संतोष भी दवा है। *16.* मन की शांति व स्वस्थ शरीर भी दवा है। *17.* ईमानदारी व सकारात्मकता दवा है। *18.* *निस्वार्थ प्रेम-भावना भी दवा है।* *19.* *सबका भला ( परोपकार ) करना भी दवा है।* *20.* ऐसा कुछ करना जिससे किसी की दुआ मिले, वह दवा है। *21.* सबके साथ मिलजुल कर रहना दवा है। *22.* परिवार के साथ खाना-पीना और घुलना-मिलना भी दवा है। *23.* *आपका हर सच्चा और अच्छा मित्र भी बिना पैसे के पूरा मेडिकल स्टोर ही है।* *24.* मस्त रहें, व्यस्त रहें, स्वस्थ रहें और प्रसन्...

नव वर्ष मंगलमय हो Happy New year 2025

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 *हवा लगी पश्चिम की , सारे कुप्पा बनकर फूल गए ।* *ईस्वी सन तो याद रहा , पर अपना संवत्सर भूल गए ।।* *चारों तरफ नए साल का , ऐसा मचा है हो-हल्ला ।* *बेगानी शादी में नाचे , जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।* *धरती ठिठुर रही सर्दी से , घना कुहासा छाया है ।* *कैसा ये नववर्ष है , जिससे सूरज भी शरमाया है ।।* *सूनी है पेड़ों की डालें , फूल नहीं हैं उपवन में ।* *पर्वत ढके बर्फ से सारे , रंग कहां है जीवन में ।।* *बाट जोह रही सारी प्रकृति , आतुरता से फागुन का ।* *जैसे रस्ता देख रही हो , सजनी अपने साजन का ।।* *अभी ना उल्लासित हो इतने , आई अभी बहार नहीं ।* *हम अपना नववर्ष मनाएंगे , न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।।* *लिए बहारें आँचल में , जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।* *फूलों का श्रृंगार करके , धरती दुल्हन बन जाएगी ।।* *मौसम बड़ा सुहाना होगा , दिल सबके खिल जाएँगे ।* *झूमेंगी फसलें खेतों में , हम गीत खुशी के गाएँगे ।।* *उठो खुद को पहचानो , यूँ कबतक सोते रहोगे तुम ।* *चिन्ह गुलामी के कंधों पर , कबतक ढोते रहोगे तुम ।।* *अपनी समृद्ध परंपराओं का , आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।* _आर्यावर्त के वासी हैं हम , अब अपना नववर्ष...

संस्कारो पर नाज

संस्कारो पर नाज बेटा अब खुद कमाने वाला हो गया था ...इसलिए बात-बात पर अपनी माँ किशोरी से झगड़ पड़ता था ये वही माँ थी जो बेटे के लिए पति से भी लड़ जाती थी। मगर अब फाइनेसिअली इंडिपेंडेंट बेटा पिता के कई बार समझाने पर भी इग्नोर कर देता और कहता, "यही तो उम्र है शौक की,खाने पहनने की, जब आपकी तरह मुँह में दाँत और पेट में आंत ही नहीं रहेगी तो क्या करूँगा।" बहू खुशबू भी भरे पूरे परिवार से आई थी, इसलिए बेटे की गृहस्थी की खुशबू में रम गई थी। बेटे की नौकरी अच्छी थी तो फ्रेंड सर्किल उसी हिसाब से मॉडर्न थी। बहू को अक्सर वह पुराने स्टाइल के कपड़े छोड़ कर मॉडर्न बनने को कहता, मगर बहू मना कर देती .....,वो कहता "कमाल करती हो तुम, आजकल सारा ज़माना ऐसा करता है,मैं क्या कुछ नया कर रहा हूँ। तुम्हारे सुख के लिए सब कर रहा हूँ और तुम हो कि उन्हीं पुराने विचारों में अटकी हो। क्वालिटी लाइफ क्या होती है तुम्हें मालूम ही नहीं।" और बहू कहती "क्वालिटी लाइफ क्या होती है, ये मुझे जानना भी नहीं है, क्योकि लाइफ की क्वालिटी क्या हो, मैं इस बात में विश्वास रखती हूँ।" आज अचानक पापा आई. सी. यू. में ए...