भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं

  भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं संसार के बंधन से परेशान खड़े हैं, परेशान खड़े हैं ओ मालिक मेरे ओ मालिक मेरे)- 2 १. संसार के निराले कलाकार तुम्ही हो, सब जीव जंतुओं के सृजनहार तुम्हीं हो हम प्रभुका मन में लिए ध्यान खड़े हैं .... संसार के बंधन... २. तुम वेद ज्ञान दाता,पिताओं के पिता हो वह राज कौन सा है, जो तुमसे छिपा हो हम तो हैं अनाड़ी बालक बिना ज्ञान खड़े हैं संसार के बंधन... ३. सुनकर विनय हमारी स्वीकार करोगे मंझधार में है नैया प्रभु पार करोगे हर कदम कदम पर आके ये तूफान खड़े हैं संसार के बंधन... ४.दुनिया में आप जैसा कहीं ओर नहीं है इस ठौर के बराबर कहीं ठौर नहीं है अपनी तो पथिक यह मंजिल जो पहचान खड़े हैं संसार के बंधन....

अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में ।

अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में ।

है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में ।।१।।


मेरा निश्चय है बस एक यही, इक बार तुम्हें पा जाऊँ मैं ।

अर्पण कर दूँ जगती भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में ।।


या तो मैं जग से दूर रहूँ और जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ ।

इस पार तुम्हारे हाथों में, उस पार तुम्हारे हाथों में ।।


 यदि मानुष ही मुझे जन्म मिले, तब तव चरणों का पुजारी बनूँ ।

 मुझ पूजक की इक-इक रग का, हो तार तुम्हारे हाथों में ।।


 जब-जब संसार का बन्दी बन, दरबार तुम्हारे आऊँ मैं । 

हो मेरे पापों का निर्णय, सरकार तुम्हारे हाथों में । ।


मुझ में तुझमें है भेद यही, मैं नर हूँ तू नारायण है । 

मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में ।।


https://youtu.be/pmPMb2y3dow





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