यजुर्वेद पाठ के लाभ

 यजुर्वेद पाठ के लाभ निम्नलिखित हैं: 1. *आध्यात्मिक विकास*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से आध्यात्मिक विकास होता है, और व्यक्ति के जीवन में आत्म-ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति होती है। 2. *शांति और समृद्धि*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 3. *नकारात्मक ऊर्जा का नाश*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 4. *स्वास्थ्य लाभ*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ होता है, और व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। 5. *धन और समृद्धि*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 6. *संतान सुख*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से संतान सुख की प्राप्ति होती है। 7. *वैवाहिक जीवन में सुख*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 8. *व्यवसाय में सफलता*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से व्यवसाय में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 9. *बाधाओं का नाश*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से बाधाओं का नाश होता है, और व्यक्ति के जीवन में सफलता और समृद्धि...

आर्यसमाज का मंतव्य क्या है?

 


आर्यसमाज का मंतव्य क्या है?




आज एक मित्र मिला। वह फेसबुक से मुझसे जुड़ा हुआ है। कट्टर पौराणिक है। सामान्य चर्चा के बाद बोला तुम आर्यसमाजी जब देखों सनातन धर्म की कमी निकालते रहते हो। जब देखों निंदा करते रहते हो। मैंने कहा तुम्हारा उत्तर एक कहानी के माध्यम से दूँ तो कैसा रहेगा। 

वह बोला सुनाओ। मैंने सुनाना शुरू किया-


"एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था ।

चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे पर लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था। तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे। उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया । 

वह संसार की रीति समझ गया ।"

शिक्षा --- "कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना आसान है लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता है। 

मैंने अपने मित्र से कहा-- क्या समझ आया। बोला आप बताओ। मैंने कहा आर्यसमाज ऐसी विचारधारा है, जो मृतप्राय: हिन्दू समाज में नवचेतना डालता है।  उनके अन्धविश्वास दूर कर उन्हें वेदों का ज्ञान देता है। उनकी आलोचना करना उसका उद्देश्य नहीं है। अपितु उनकी कमियां सुधारना उसका उद्देश्य है। आर्यसमाज धर्म के नाम पर अन्धविश्वास और पाखंड का शत्रु है। न की सनातन धर्म का विरोधी है। विधर्मी, नास्तिक और साम्यवादी ऐसे लोग है जो सनातन धर्म  आलोचना और निंदा करते है।  जबकि आर्यसमाज निंदक नहीं अपितु सुधारक है।  

वह मित्र इतने सरल तरीके से समझाए गये पाठ को सुनकर निरुत्तर हो गया। बोला आप ठीक कह रहे हो। मैं पूर्वाग्रह और पक्षपात से मुक्त होकर ही आर्यसमाज के मंतव्य को समझ पाया। आशा करता हूँ। आप इसी प्रकार से वेदों का प्रचार करते रहेंगे।

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