नव वर्ष मंगलमय हो Happy New year 2025
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*हवा लगी पश्चिम की , सारे कुप्पा बनकर फूल गए ।*
*ईस्वी सन तो याद रहा , पर अपना संवत्सर भूल गए ।।*
*चारों तरफ नए साल का , ऐसा मचा है हो-हल्ला ।*
*बेगानी शादी में नाचे , जैसे कोई दीवाना अब्दुल्ला ।।*
*धरती ठिठुर रही सर्दी से , घना कुहासा छाया है ।*
*कैसा ये नववर्ष है , जिससे सूरज भी शरमाया है ।।*
*सूनी है पेड़ों की डालें , फूल नहीं हैं उपवन में ।*
*पर्वत ढके बर्फ से सारे , रंग कहां है जीवन में ।।*
*बाट जोह रही सारी प्रकृति , आतुरता से फागुन का ।*
*जैसे रस्ता देख रही हो , सजनी अपने साजन का ।।*
*अभी ना उल्लासित हो इतने , आई अभी बहार नहीं ।*
*हम अपना नववर्ष मनाएंगे , न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं ।।*
*लिए बहारें आँचल में , जब चैत्र प्रतिपदा आएगी ।*
*फूलों का श्रृंगार करके , धरती दुल्हन बन जाएगी ।।*
*मौसम बड़ा सुहाना होगा , दिल सबके खिल जाएँगे ।*
*झूमेंगी फसलें खेतों में , हम गीत खुशी के गाएँगे ।।*
*उठो खुद को पहचानो , यूँ कबतक सोते रहोगे तुम ।*
*चिन्ह गुलामी के कंधों पर , कबतक ढोते रहोगे तुम ।।*
*अपनी समृद्ध परंपराओं का , आओ मिलकर मान बढ़ाएंगे ।*
_आर्यावर्त के वासी हैं हम , अब अपना नववर्ष मनाएंगे।
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