भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं

  भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं संसार के बंधन से परेशान खड़े हैं, परेशान खड़े हैं ओ मालिक मेरे ओ मालिक मेरे)- 2 १. संसार के निराले कलाकार तुम्ही हो, सब जीव जंतुओं के सृजनहार तुम्हीं हो हम प्रभुका मन में लिए ध्यान खड़े हैं .... संसार के बंधन... २. तुम वेद ज्ञान दाता,पिताओं के पिता हो वह राज कौन सा है, जो तुमसे छिपा हो हम तो हैं अनाड़ी बालक बिना ज्ञान खड़े हैं संसार के बंधन... ३. सुनकर विनय हमारी स्वीकार करोगे मंझधार में है नैया प्रभु पार करोगे हर कदम कदम पर आके ये तूफान खड़े हैं संसार के बंधन... ४.दुनिया में आप जैसा कहीं ओर नहीं है इस ठौर के बराबर कहीं ठौर नहीं है अपनी तो पथिक यह मंजिल जो पहचान खड़े हैं संसार के बंधन....

शुभ विवाह की वर्षगांठ पर, सौ-सौ बार बधाई हो।


शुभ विवाह की वर्षगांठ


शुभ विवाह की वर्षगांठ पर, सौ-सौ बार बधाई हो।

 सदा रहो तुम मिलकर ऐसे, जैसे दूध मलाई हो। 


तुमने जीवन साथी बनकर इतने वर्ष बिताये हैं। 

इक-दूजे का हाथ पकड़कर इस मंजिल तक आये हैं।

आपस की यह प्रीति हमेशा, हर दिन रात सवाई हो।

सदा रहो मिलकर तुम ऐसे, जैसे दूध. (1)


यह आदर्श जीवन तुम्हारा सबको राह दिखाता है।

 सद्-गृहस्थ ऐसा होता है यह सन्देश सुनाता है।

 तन-मन-धन से जन-गण-मन की सेवा और भलाई हो।

सदा रहो मिलकर तुम ऐसे, जैसे दूध (2)


पति-पत्नी दो पहिये समझो, अपने घर की गाड़ी के 

दोनों ही माली हैं सुन्दर, फूलों की फुलवारी के।

जीवन स्वर्ग बने धरती पर, ऐसी नेक कमाई हो।

सदा रहो मिलकर तुम ऐसे, जैसे दूध (3)


सुखद स्वास्थ्य हो तुम दोनों के, जीवन को आधार मिले 

बीते समय प्रभु-भक्ति में, परमेश्वर का प्यार मिले

 'पथिक' चलो सुख की राहों पर, ईश्वर सदा सहाई हो 

सदा रहो तुम मिलकर ऐसे जैसे दूध मलाई हो


शुभ विवाह की वर्षगांठ पर सौ-सौ बार बधाई हो।

सदा रहो मिलकर तुम ऐसे, जैसे दूध ........ (4)

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