यजुर्वेद पाठ के लाभ

 यजुर्वेद पाठ के लाभ निम्नलिखित हैं: 1. *आध्यात्मिक विकास*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से आध्यात्मिक विकास होता है, और व्यक्ति के जीवन में आत्म-ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति होती है। 2. *शांति और समृद्धि*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 3. *नकारात्मक ऊर्जा का नाश*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 4. *स्वास्थ्य लाभ*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ होता है, और व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। 5. *धन और समृद्धि*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 6. *संतान सुख*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से संतान सुख की प्राप्ति होती है। 7. *वैवाहिक जीवन में सुख*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 8. *व्यवसाय में सफलता*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से व्यवसाय में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 9. *बाधाओं का नाश*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से बाधाओं का नाश होता है, और व्यक्ति के जीवन में सफलता और समृद्धि...

परमात्मा कहां रहता है





 *प्रश्न.. परमात्मा का मुख्य और निज नाम क्या है ?*

उत्तर.. परमात्मा का मुख्य निज नाम ओ३म है

*प्रश्न .. परमात्मा कहां रहता है ?*

 उत्तर.. परमात्मा सभी जगह रहता है।

 *प्रश्न.. परमात्मा साकार है या निराकार ?*

 उत्तर.. परमात्मा निराकार है


 *प्रश्न.. परमात्मा जड़ है या चेतन*

 उत्तर.. परमात्मा चेतन है 


*प्रश्न.. परमात्मा के पांच कार्य* 

उत्तर.. १.संसार को बनाना २.संसार को चलाना ३..संसार को मिटाना ४.. जो जीव जैसे कर्म करता है उसे वैसे फल देना ५..वेदों का ज्ञान देना 


*प्रश्न...तीन अनादि सत्ताएं  जो कभी खत्म नहीं होती* 

उत्तर.. ईश्वर, जीव, प्रकृति

 

*प्रश्न.. क्या परमात्मा का जन्म या मृत्यु होती है*

उत्तर.. नहीं


 *प्रश्न क्या आत्मा परमात्मा का अंश है*

 उत्तर.. नहीं आत्मा और परमात्मा दोनो अलग-अलग हैं

 

*प्रश्न.. क्या आत्मा का जन्म या मृत्यु होती है।*

उत्तर.. नहीं, आत्मा अजर, अमर अविनाशी है ।


*प्रश्न..मन जड़ है या चेतन*

 उत्तर.. मन जड़ है 


*प्रश्न आर्य  किसे कहते हैं* 

उत्तर..उत्तम गुण कर्म स्वभाव वाले मनुष्य का नाम आर्य होता है 


*प्रश्न.. क्या आर्य लोग भारतवर्ष में बाहर से आए थे ।*

उत्तर.. नहीं 

https://www.aryasamajmandirpandit.in/2024/11/best-pandit-in-gaya-purohit-in-gaya-all.html



*प्रश्न... क्या वैदिक धर्म में ईश्वर का अवतार लेना बताया गया है*

 उत्तर.. नहीं क्योंकि ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप, निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनंत, निर्विकार, अनादि,अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक,सर्वांतर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य,पवित्र और सृष्टि करता है उसी की उपासना करनी योग्य हैं 


 *प्रश्न... मनुष्य दुखी क्यों होता है*

उत्तर.. मनुष्य राग, द्वेष और मोह अर्थात अज्ञान के कारण दु:खी होता है

 *प्रश्न... मनुष्य के मन में अशांति, भय, चिंता क्यों उत्पन्न होती है,*

 उत्तर.. पाप कर्म करने से 


*प्रश्न धर्म क्या है*

 उत्तर.. जो व्यवहार अपने को अच्छा लगे,वह दूसरों के प्रति करें और जो व्यवहार अपने को अच्छा ना लगे वह दूसरों के प्रति ना करें

 

*प्रश्न.. क्या मनुष्य की आयु निश्चित होती है*

 उत्तर.. मनुष्य की आयु निश्चित नहीं होती है 


*प्रश्न.. ईश्वर और आत्मा में क्या भेद है*

 उत्तर.. ईश्वर सर्वज्ञ है, आत्मा अल्पज्ञ है,ईश्वर के पास अपना उत्कृष्ट सुख है, आत्मा के पास सुख नहीं है इसलिए वह सुख लेने के लिए ईश्वर या संसार के पदार्थों के पास जाता है।


 *प्रश्न.. ईश्वर एक है कि अनेक*

 उत्तर.. ईश्वर एक है 


*प्रश्न..संसार का सबसे उत्तम कर्म क्या है*

 उत्तर.. यज्ञ 


*प्रश्न.. प्रकृति किसे कहते हैं*

 उत्तर.. सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण इन तीनों तत्वों के समूह को प्रकृति कहते हैं


 *प्रश्न.. प्रकृति जड़ है या चेतन*

 उत्तर.. प्रकृति जड़ है


 *प्रश्न.. आत्मा जड़ है या चेतन*

 उत्तर.. आत्मा चेतन है


 *प्रश्न..धर्म एक है या अनेक*

 उत्तर.. धर्म एक है 


*प्रश्न... परमात्मा की वाणी क्या है*

 उत्तर.. वेद


 *प्रश्न.. वेद का अर्थ क्या है*

 उत्तर.. वेद का अर्थ ज्ञान है 


*प्रश्न.. वेद कितने होते है*

 उत्तर.. वेद चार होते हैं


 *प्रश्न.. चारों वेदों के नाम बताओ*

उत्तर.. ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद


 *प्रश्न..उन चार ऋषियों के नाम बताइए जिनकी आत्मा में परमात्मा ने सबसे पहले वेदों का ज्ञान दिया था*

 उत्तर.. अग्नि ऋषि,वायु ऋषि,आदित्य ऋषि,अंगिरा ऋषि


*प्रश्न..  वेदों के विषय क्या है*

 उत्तर.. ज्ञान, कर्म, उपासना, और विज्ञान,


 *प्रश्न.. चार उपवेद कौन-कौन से हैं*

 उत्तर.. आयुर्वेद, धनुर्वेद, गंधर्ववेद, अर्थवेद  या शिल्प वेद 


*प्रश्न... ऋग्वेद में कितने मंत्र हैं* उत्तर 10552 


*प्रश्न.. यजुर्वेद में कितने मंत्र हैं*

उत्तर..1975


 *प्रश्न.. सामवेद में कितने मंत्र हैं*

 उत्तर.. 1875 


*प्रश्न.. अथर्ववेद में कितने मंत्र हैं*

 उत्तर 5977 


*प्रश्न.. वेदों के 6 अंग*

उत्तर.. शिक्षा, कल्प, व्याकरण,निरुक्त, छंद, ज्योतिष

 

*प्रश्न 6 दर्शन या उपांग के नाम और लेखक बताओ*

उत्तर.. न्याय दर्शन (गौतम ऋषि), वैशेषिक दर्शन(कणाद ऋषि), सांख्य दर्शन (कपिल ,मुनि ), मीमांसा दर्शन(जैमिनी ऋषि), वेदांत दर्शन (महर्षि वेदव्यास) 


*प्रश्न.. चार ब्राह्मण ग्रंथ*

 उत्तर.. ऐतरेय, शतपथ, शाम, गोपथ,

 

*प्रश्न ११ उपनिषद  कौन-कौन से हैं*

 उत्तर.. १.ईश  २.केन ३.कठ ४.प्रश्न ५. मुण्डक, ६.मांडूक्य ७.श्वेताश्वतर, ८.छान्दोग्य ९.. ऐतरेय १०..तैत्तिरीय ११.. बृहदारण्यक


 *प्रश्न.. दो सनातन वैदिक महाकाव्य*

 उत्तर.. १.रामायण(बाल्मीकि) २.महाभारत (वेदव्यास)

 

*प्रश्न.. चार पुरुषार्थ*

 उत्तर..१.धर्म २.अर्थ ३.काम .४.मोक्ष 


*प्रश्न..चार वर्ण कौन-कौन से है*

उत्तर.. १.ब्राह्मण २.क्षत्रिय ३.वैश्य ४.शूद्र 


*प्रश्न..चार आश्रम*

 उत्तर.. १.ब्रह्मचर्य २. गृहस्थ ३. वानप्रस्थ   ४.सन्यास

 


*प्रश्न.. पंच महायज्ञ*

 उत्तर...१.. ब्रह्मयज्ञ २..देव यज्ञ ३..पितृ यज्ञ ४.. अतिथि यज्ञ ५.. बलिवैश्व देव यज्ञ 


*प्रश्न.. 16 संस्कार*

 उत्तर.. १..गर्भाधान २. पुंसवन 

३..सीमंतोन्नयन ४..जातकर्म  ५..नामकरण ६.. अन्नप्राशन ७..निष्क्रमण ८ चूड़ाकर्म या मुंडन ९.. कर्ण भेद  १०.उपनयन या यज्ञोपवीत ११..वेदारंभ  १२..समावर्तन १३.. विवाह १४..वानप्रस्थ १५.. सन्यास १६..अंत्येष्टि 


*प्रश्न..अष्टांग योग*

 उत्तर..१..यम  २..नियम ३..आसन ४..प्राणायाम ५..प्रत्याहार ६..धारणा ७..ध्यान ८..समाधि 



*प्रश्न.. पांच यम*

उतर.. १.अहिंसा २.सत्य ३.. ब्रह्मचर्य अपरिग्रह 


*प्रश्न पांच नियम*

उत्तर..१.. शौच २.संतोष ३.तप ४..स्वाध्याय ५..ईश्वर प्रणिधान 


*प्रश्न..धर्म के 10 लक्षण महर्षि मनु के अनुसार*

 उत्तर..धृति क्षमा दमोस्तेयं, शौचं इन्द्रियनिग्रहः। धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥ अर्थ - धर्म के दस लक्षण हैं - धैर्य, क्षमा, संयम, चोरी न करना, स्वच्छता, इन्द्रियों को वश में रखना, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना (अक्रोध)।


 

*प्रश्न...हमारे देश का प्राचीन और प्रथम नाम क्या है*

 उत्तर... आर्यावर्त 


*प्रश्न.... हमारे देशवासियों का प्राचीन नाम क्या था*

 उत्तर.... आर्य


*प्रश्न.. हम भारतीयों का प्राचीन धर्म क्या है* 

उत्तर.. वैदिक धर्म 


*प्रश्न.. हम वैदिक धर्मियों की धार्मिक पुस्तक कौन सी है*

 उत्तर.. वेद



 *प्रश्न... वेद की भाषा कौन सी है*

 उत्तर... वैदिक संस्कृत


 *प्रश्न.. आर्य समाज के संस्थापक कौन थे*

 उत्तर.. महर्षि दयानंद सरस्वती


*प्रश्न..महर्षि दयानंद जी  का जन्म स्थान कहां है*

 उत्तर.. टंकारा (गुजरात में )


*प्रश्न... दयानंद सरस्वती  के बचपन का क्या नाम था*

 उत्तर.. मूल शंकर


*प्रश्न.. महर्षि दयानंद के गुरु कौन थे*

 उत्तर.. स्वामी विरजानंद दंडी महाराज मथुरा



 *प्रश्न..आर्य  समाज की स्थापना कब और कहां पर हुई थी*

 उत्तर... 7 अप्रैल 1875 काकड़बाड़ी मुंबई



 *प्रश्न.. ऋषि निर्माण दिवस कब मनाया जाता है*

 उत्तर.. दीपावली के दिन 


*प्रश्न... दयानंद सरस्वती की मृत्यु कब और कहां पर हुई थी*

उत्तर.. 30 अक्टूबर 1883 अजमेर राजस्थान 


*प्रश्न..महर्षि दयानंद का जन्म कब ओर कहां  हुआ था*

 उत्तर... सन 1824 को



 *प्रश्न...महर्षि दयानंद सरस्वती का उद्घोष (नारा )क्या था*

 उत्तर.. लोटो वेदों की ओर 


*प्रश्न..ऋषि दयानंद को बोध कब हुआ था*

उत्तर.. शिवरात्रि पर



 *प्रश्न... ऋषि दयानंद के माता-पिता का नाम*

 उत्तर.. माता अमृत बाई और पिता करशन जी तिवारी


 *प्रश्न.. समाज का आदर्श वाक्य क्या है*

 उत्तर.. कृण्वन्तो विश्वमार्यम्।


*प्रश्न..आर्य समाज का मुख्य ग्रंथ कौन सा है*

 उतर..  सत्यार्थ प्रकाश


 *प्रश्न...अन्न कितने प्रकार का होता है*

 उत्तर.. अन्न तीन प्रकार का होता है १.सात्विक २.राजसिक ३.तामसिक



 *प्रश्न... शरीर में कुल कितनी इंद्रियां है उनके नाम बताओ*

 उत्तर.. शरीर में कुल 11 इंद्रिय है पांच कर्मेंद्रियां जैसे १.हाथ २.पैर ३.मुंह ४.गुदा ५.लिंग 

पांच ज्ञानेंद्रिय जैसे १.आंख २.कान ३.नाक ४.जीभ ५.त्वचा और एक मन कुल  11 इंद्रियां होती है 



*प्रश्न... चार अंतःकरण*

 उत्तर.. .मन, बुद्धि, चित्त,और अहंकार


 *प्रश्न... मन के दोष*

उत्तर..राग द्वेष मोह तीन दोष होते हैं


 *प्रश्न... मन की उत्पत्ति किससे होती है*

 उत्तर..अहंकार नामक तत्व से होती है


*प्रश्न.. मन किससे जुड़कर कार्य करता है*

 उत्तर.. आत्मा से जुड़कर 


*प्रश्न.. बुद्धि का मुख्य कार्य क्या है*

 उत्तर.. निर्णय करना


*प्रश्न... चार प्रकार के शरीर होते हैं* 

उत्तर... अण्डज,जरायुज, स्वेदज, उद्धिज्ज 


 *प्रश्न..शरीर कितने प्रकार का होता है*

 उत्तर... १.स्थूल शरीर २.सूक्ष्म शरीर ३..कारण शरीर


*प्रश्न.. जीवात्मा किसे कहते हैं* 

उत्तर.. जीवात्मा अत्यंत सूक्ष्म एक स्थान (जगह) पर रहने वाली है, जिसमें ज्ञान अर्थात अनुभूति का गुण है, जीवात्मा का कभी नाश नहीं होता है, जो सदा से है, और सदा रहेगी, कर्म करने में स्वतंत्र और कर्मों के अनुसार ही मनुष्य पशु, पक्षी आदि का शरीर ईश्वर की सहायता से धारण करती है। 


*प्रश्न..क्या जीवात्मा स्त्री है, पुरुष हैं, या नपुंसक लिंग हैं*

 उत्तर.. नहीं,जीवात्मा का कोई लिंग नहीं होता



*प्रश्न..कर्म  क्या है*

 उत्तर.. महर्षि दयानंद जी के अनुसार मन इंद्रिया और शरीर से जीव जो चेष्टा विशेष करता है वह कर्म कहलाता है


 *प्रश्न..कर्म करने के मुख्य साधन क्या है*

 उत्तर... १.मन २.वाणी ३.शरीर 


*प्रश्न 33 कोटि के देवता बताओ*

 उत्तर... 33 कोटि के देवता अर्थात 8 वसु  जैसे पृथ्वी, जल, अग्नि,वायु,आकाश,चंद्रमा,सूर्य, नक्षत्र, 11 रूद्र जैसे १.प्राण २.अपान ३.ब्यान ४.उदान ५.सामान ६.नाग ७.कुर्म ८. कृकल ९.देवदत्त १०..धनंजय और ११.जीवात्मा  तथा 12 आदित्य १.चैत्र २..बैशाख ३..ज्येष्ठ ४..आषाढ़ ५..श्रावण६.भाद्रपद ७.अश्विन(क्वार) ८.कार्तिक ९..अगहन  १०.पौष ११.माघ १२..फाल्गुन एवं बिजली (इंद्र), और यज्ञ (प्रजापति) कुल 33कोटि  के देवता होते हैं



 *प्रश्न.. पांच मूर्तिमान देवता कौन से हैं*

 उत्तर.. १माता २.पिता ३.आचार्य ४..अतिथि ५..पति और पत्नी 



*प्रश्न.हम सभी के ऊपर तीन ऋण  कौन-कौन से हैं*

 उत्तर.. १.देव ऋण २..ऋषि ऋण ३.. पितृ  ऋण 



 *प्रश्न.. यज्ञ के तीन रूप*

उत्तर.. १..स्वाध्याय २..संगतिकरण  ३..दान


*प्रश्न..गुरु मंत्र क्या है*

उत्तर..गायत्री मंत्र ही गुरु मंत्र हैं




*🚩बाल शिक्षा प्रश्नोत्तरी..(सत्यार्थ प्रकाश)*


*प्रश्न.. शिक्षक कितने ओर कौन कौन होते हैं*

उत्तर..शिक्षक तीन होते हैं पहली माता,दूसरे पिता,तीसरे आचार्य या गुरु


*प्रश्न.. माता को सबसे उत्तम शिक्षक क्यों कहते हैं*

उत्तर.. मां अपने उदर में नौ माह  निकटतम रखती हैं माता प्रथम पुरोहित हैं संतानों से प्रेम हित की भावना उसमें  सर्वाधिक होती हैं इसलिए मां सर्वोत्तम शिक्षक हैं।


*प्रश्न..संतानों के प्रति माता माता पिता के क्या कर्तव्य हे* उत्तर.. संतानों के प्रति माता पिता के निम्न कर्तव्य हैं 

 .1. बालक को शुद्ध उच्चारण  सिखलाना,..2 संतानों को उत्तम गुणों से युक्त करना 3 ..छोटे बड़ों से व्यवहार  करना सिखलाना , 4.. धर्म की शिक्षा देना आदि


*प्रश्न.. क्या भूत प्रेत वास्तव में   होते हैं*


 उत्तर.. भूत प्रेत  नहीं  होते हैं  उनको मानना  अंधविश्वास है। 


*प्रश्न..संसार में बहुत से लोग भूत प्रेत क्यों  मानते हैं*

 उतर.. आविद्या,कुसंस्कार,भय,शंका,,मानसिक रोग धूर्तों के बहकाने से लोग भूत प्रेत मानने लग जाते हैं


*प्रश्न..,,  हम मरने के बाद कहां जाते हैं*

 उत्तर... मरने के बाद हम पाप पुण्य का फल  भोगने के  लिए फिर से जन्म लेते हैं

 

*प्रश्न...हमें दूसरे जन्म में कौन भेजता हैं*

 उत्तर.. दूसरे जन्म में ईश्वर  भेजता है

*प्रश्न... क्या मंत्र फूंकने  से किसी रोग  की चिकित्सा होती है*

 उत्तर.. मंत्र फूंकने से   किसी रोग की चिकित्सा नहीं होती है


*प्रश्न.. क्या ग्रहों के कारण  हमारे जीवन में सुख दुख  होते हैं*


 उत्तर... हमारे जीवन में सुख दुख ग्रहों के कारण से नहीं होते हैं, 


*प्रश्न ..मंगल,शनि  आदि ग्रहों का हमारे  जीवन पर प्रभाव पड़ता है*

 उत्तर.. मंगल शनि आदि ग्रहों  का हमारे कर्मो पर कोई  प्रभाव नहीं पड़ता


 *प्रश्न.. जन्म पत्र  में लिखी गई बातें क्या सच होती है*

 उत्तर.. हम कर्म करने में स्वतंत्र हैं, इसलिए हमारे भविष्य की बातें कोई नहीं जान सकता ? इसी से जन्म पत्र  की बातें  झूठ सिद्ध होती हैं। 


*प्रश्न.. छल कपट किसे कहते हैं*

 उत्तर.. दूसरों की हानि पर ध्यान ना देकर केवल अपना स्वास्थ्य सिद्ध  करना छल कपट कहलाता है


*प्रश्न.. विद्यार्थी का मुख्य कर्तव्य  क्या है*

 उत्तर... माता पिता  गुरुजनों का सदैव आज्ञाकारी होना,तथा  अपनी विद्या शरीर का बल सदा  बढ़ाते रहना विद्यार्थी का मुख्य कर्तव्य हैं



*प्रश्न..   माता पिता एवं गुरु हमें दंड क्यों देते हैं*


 उत्तर.. हमारे जीवन से बुराइयों को हटाने के लिए माता-पिता गुरु जन हमें  दंड देते हैं!


*प्रश्न..दंड प्राप्त होने पर हमें क्या विचारना  चाहिए*

उत्तर..दंड प्राप्त होने पर  हमें विचारना चाहिए कि मेरे अपने सुधार के लिए दंड दिया गया है क्रोध न  करते हुए सुधरने का प्रयास करना चाहिए सदाचार की तीन दाल दीजिए


 *प्रश्न... सदाचार के तीन उदाहरण दीजिए*


उत्तर...  १. शांत  मधुर और सत्य  बोलना २...बड़ों को नमस्ते करना तथा ३..

 माता पिता एवं गुरुजनों की सेवा करना

 


*प्रश्न..माता पिता और गुरुजनों का मुख्य  कर्तव्य क्या है*


उत्तर.. अपनी संतानों को  विद्या,धर्म,श्रेष्ठ आचरण एवं  उत्तम संस्कारों से युक्त करना  माता पिता  गुरुजनों का परम  धर्म हैं।





*🚩ईश्वर प्रश्नोत्तरी(सत्यार्थ प्रकाश)*



 *प्रश्न.. ईश्वर कितने हैं*

 उत्तर.. ईश्वर एक है तथा उसी के अनेकों नाम है

 

*प्रश्न..ईश्वर का मुख्य नाम एवं उसका अर्थ क्या है*

 उत्तर.. ईश्वर का मुख्य नाम ओम हैं जिसका अर्थ हैं  ईश्वर हम सब जीवों की सब ओर से सतत  रक्षा करता है।

 

*प्रश्न..ईश्वर के कुल कितने नाम है*

 उत्तर.. ईश्वर के अनगिनत नाम है


*प्रश्न..  ईश्वर के अनेकों नाम किस आधार से हैं*

उत्तर.. ईश्वर के अनेकों नाम उसके  असंख्यात  गुण कर्म  और स्वभाव के कारण से हैं।


 *प्रश्न..क्या ईश्वर कभी जन्म लेता हैं*

 उत्तर.. नहीं, ईश्वर कभी जन्म नहीं लेता हैं।


 *प्रश्न..स्तुति, प्रार्थना, उपासना किसकी करनी चाहिए*

 उत्तर.. स्तुति प्रार्थना उपासना केवल ईश्वर  की ही करनी चाहिए।

 

*प्रश्न.. ईश्वर से अधिक सामर्थ्य शाली कौन हैं*

 उत्तर.. ईश्वर से अधिक सामर्थ शाली ओर कोई नहीं हैं,वह सर्वशक्तिमान हैं


*प्रश्न..ईश्वर के कुछ प्रसिद्ध नामों का तात्पर्य बताएं*

 


 उत्तर..  सबसे बड़ा होने से ईश्वर ब्रह्म, संसार का रचयिता होने से ब्रह्मा,व्यापक होने से विष्णु, सबका कल्याण कर्ता होने से शिव, दुष्टों को दंड देकर रुलाने से रुद्र, सबका पालन  करने से प्रजापति,ऐश्वर्यशाली और  ऐश्वर्यदाता होने से ईश्वर को इंद्र कहते हैं

 

*प्रश्न..ईश्वर के कुछ अप्रसिद्ध नामों का तात्पर्य बताएं*

उत्तर..ज्ञान स्वरूप होने से ईश्वर अग्नि, चराचर जगत के धारण,जीवन ओर प्रलय करने तथा सबसे अधिक बलवान होने से वायु, दुष्टों को दंड देने तथा अव्यक्त एवं परमाणु के संयोग वियोग करने बाला होने से वह परमात्मा जल, सब विस्तृत जगत का विस्तार कर्ता होने से  पृथ्वी,सब ओर से जगत का प्रकाशक होने से  आकाश,ईश्वर का कभी विनाश नहीं होता है इसी से उसका नाम आदित्य, स्वप्रकाशरूप सबके प्रकाश करने,चराचर जगत की आत्मा होने से सूर्य,स्वयं आनंद स्वरूप,सबको आनंद देने बाला ईश्वर का नाम चन्द्र हैं,आप मंगल स्वरूप सबका मंगल कर्ता होने से ईश्वर मंगल,स्वयं बुद्ध स्वरूप सभी जीवो के बोध का कारण होने से ईश्वर बुद्ध हैं।

ईश्वर स्वयं अत्यंत पवित्र और उसके संग से जीव भी पवित्र हो जाते हैं इससे वह शुक्र है।


*प्रश्न.. ईश्वर को गणपति, नारायण,राहु,केतु,सरस्वती,एवं लक्ष्मी क्यों कहते हैं।*

उत्तर...गिनने योग्य समस्त जड़ों और जीवों का स्वामी होने से ईश्वर गणपति है।

जल और जीवों का नाम नारा तथा अयन घर को कहते है अर्थात जल और जीवों के निवास स्थान होने से ईश्वर नारायण हैं।

राहू अर्थात् ईश्वर सबका एकांत स्वरूप उसमें कभी कोई पदार्थ घुलता मिलता नहीं है तथा दुष्टों को छोड़ने और अन्यों को छुड़ाने   बाला है ।

केतु अर्थात सब जगत का निवास स्थान स्वयं रोग रहित और अन्यों को रोग मुक्त कराता हैं।

सरस्वती अर्थात ईश्वर मे समस्त प्रकाश के शब्द,अर्थ संबंध प्रयोग का पूर्ण ज्ञान हैं।

लक्ष्मी अर्थात ईश्वर सबको आकर प्रकार दे शक्लें बनाके ओर चराचर जगत को देखता हैं।


*प्रश्न..क्या ईश्वर के पुलिंग  के अलावा, स्त्री लिंग,नपुंसक लिंग में भी नाम हैं*

उत्तर..ईश्वर का कोई लिंग नहीं,परन्तु उसके नाम तीनों लिंगों  में वेदादि  शास्त्रों में पाए जाते हैं जैसे ब्रह्म नाम नपुंशक लिंग,ईश्वर पुल्लिंग, देवी स्त्री लिंग में आता हैं।


*प्रश्न..ईश्वर के गुण,कर्म,स्वभाव बताएं*


उत्तर..ईश्वर के गुण है अद्वितीय,सर्वशक्तिमान, निराकार,सर्व व्यापक,अनादि,अनंत आदि।

ईश्वर के कर्म.. जगत की उत्पत्ति,पालन,एवं विनाश करना हैं। तथा जीवों के कामों का फल देना हैं ।

ईश्वर का स्वभाव... अविनाशी,ज्ञानी,आनंद,शुद्ध, न्यायकारी,दयालु,अजन्मा,आदि हैं।


*प्रश्न... दुःख कितने प्रकार के कौन कौन से होते हैं।*


उत्तर...  दुःख तीन प्रकार के  होते है एक आधिदैविक,दो आधिभौतिक, एवं तीन आध्यात्मिक ।


*प्रश्न.... आदिदैविक दुख किसे कहते हैं*

उत्तर...जड़ों से प्राप्त होने वाले दुःख आदिदैविक कहते हैं। जैसे   अधिक सर्दी,गर्मी, वर्षा,प्राकृतिक आपदाएं,सुनामी, बाढ़,अकाल,आदि।

इसी प्रकार भूख,प्यास,तथा मन की चंचलता,अशांति,से होने वाले दुःख भी  इसी श्रेणी में आते हैं।


*प्रश्न.. आधिभौतिक दुःख किसे कहते हैं।*

उत्तर.. चेतनो से प्राप्त होने वाले  दुःख को आधिभौतिक दुःख कहते हैं जैसे मनुष्य,पशु,पक्षी,कीट पतंग,मक्खी,मच्छर, सांप, इत्यादि से प्राप्त दुःख।


*प्रश्न...आध्यात्मिक दुःख किसे कहते हैं*

उत्तर.. अपने स्वयं के अज्ञान व गलतियों से प्राप्त दुखों को आध्यात्मिक दुःख कहते हैं। जैसे अविद्या,जनित राग द्वेष,अंधविश्वास,गलत परम्पराओं से प्राप्त विभिन्न प्रकार के दुःख तथा शारीरिक रोग इत्यादि।

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