भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं

  भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं संसार के बंधन से परेशान खड़े हैं, परेशान खड़े हैं ओ मालिक मेरे ओ मालिक मेरे)- 2 १. संसार के निराले कलाकार तुम्ही हो, सब जीव जंतुओं के सृजनहार तुम्हीं हो हम प्रभुका मन में लिए ध्यान खड़े हैं .... संसार के बंधन... २. तुम वेद ज्ञान दाता,पिताओं के पिता हो वह राज कौन सा है, जो तुमसे छिपा हो हम तो हैं अनाड़ी बालक बिना ज्ञान खड़े हैं संसार के बंधन... ३. सुनकर विनय हमारी स्वीकार करोगे मंझधार में है नैया प्रभु पार करोगे हर कदम कदम पर आके ये तूफान खड़े हैं संसार के बंधन... ४.दुनिया में आप जैसा कहीं ओर नहीं है इस ठौर के बराबर कहीं ठौर नहीं है अपनी तो पथिक यह मंजिल जो पहचान खड़े हैं संसार के बंधन....

संस्कार का प्रभाव

 संस्कार 

कोई हमारी मां-बहन को सताए, अथवा कोई विदेशी हमारे देश पर हमला करे तो हमारा खून खौलने लगता है। आक्रान्ता को उसके कुकर्म का दण्ड दिये बिना हमें चैन नहीं मिलता। ऐसा क्यों होता है? इसलिए कि आक्रान्ता का कुकर्म हमारे संस्कारों पर आघात पहुंचाता है। मां -बहनों की लाज बचाना, मातृभूमि को स्वर्ग से भी ऊंचा मानना हमारे संस्कारों में रच-बस चुका है। इस भूमण्डल पर भारत ही ऐसा देश है, जहां मनुष्य को मनुष्यता के सांचे में ढाला जाता है।


हमें बचपन से ही यह पाठ पढ़ाया जाता है कि दूसरों के स्वर्ग को माटी समझो, सबकी मां -बहनों को आदरणीय मानो, सबको सहारा दो, मानव हो तो मानव-मात्र से प्यार करो। अपने इन्हीं संस्कारों के कारण भारत सारे संसार का गुरु रहा है। केवल सोलह संस्कारों ने हमें देवताओं की पदवी से सुशोभित किये रखा है। यह 16 संस्कार हमारे पूर्ण व्यक्तित्व को निखार सकती है। 

परिवार के सदस्यों और मित्रों को इसे पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे तो सभी के जीवन फुलवारियों के समान महक उठेंगे।

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