भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं

  भगवान तुम्हारे दर पे भक्त आन खड़े हैं संसार के बंधन से परेशान खड़े हैं, परेशान खड़े हैं ओ मालिक मेरे ओ मालिक मेरे)- 2 १. संसार के निराले कलाकार तुम्ही हो, सब जीव जंतुओं के सृजनहार तुम्हीं हो हम प्रभुका मन में लिए ध्यान खड़े हैं .... संसार के बंधन... २. तुम वेद ज्ञान दाता,पिताओं के पिता हो वह राज कौन सा है, जो तुमसे छिपा हो हम तो हैं अनाड़ी बालक बिना ज्ञान खड़े हैं संसार के बंधन... ३. सुनकर विनय हमारी स्वीकार करोगे मंझधार में है नैया प्रभु पार करोगे हर कदम कदम पर आके ये तूफान खड़े हैं संसार के बंधन... ४.दुनिया में आप जैसा कहीं ओर नहीं है इस ठौर के बराबर कहीं ठौर नहीं है अपनी तो पथिक यह मंजिल जो पहचान खड़े हैं संसार के बंधन....

पाके सुन्दर बदन, कर प्रभु का भजन, दुनिया फानी का कोई भरोसा नहीं। जो आया यहाँ, उसको जाना पड़ा, जिन्दगानी का कोई भरोसा नहीं।


पाके सुन्दर बदन, कर प्रभु का भजन, 

दुनिया फानी का कोई भरोसा नहीं। 

जो आया यहाँ, उसको जाना पड़ा, 

जिन्दगानी का कोई भरोसा नहीं। ।1।।


बालपन खेल और कूद में खो गया

 फिर बुढ़ापे का आसार आने लगा, 

इस सुघड़ वेला में, कर कमाई भली,

 नौजवानी का कोई भरोसा नहीं।।2।।


जिन्दगानी का कोई..........


अरबों वाले गये, खरबों वाले गये, 

कितने गोली व गोले रिसाले गये।

 कितने राजा गये, कितनी रानी गईं,

 राजधानी का कोई भरोसा नहीं।।3।।


जिन्दगानी का कोई.............


श्रेष्ठ जीवन बना, कर सभी का भला, 

तेरे जीवन में सुख शांति आ जायेगी। 

गर करेगा भला, तेरा होगा भला,

 बदगुमानी का कोई भरोसा नहीं।।4।।


जिन्दगानी का कोई...........


खाली हाथों यहां से सिकन्दर गया, 

सब खजानों की चाबी धरी रह गयी। 

वैद्य लुकमान को भी कजा खा गई, 

लाभ हानि का कोई भरोसा नहीं। ।5।।


जिन्दगानी का कोई.............

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वैदिक संस्कृति बनाम बाज़ार संस्कृति

धर्म किसे कहते है ? क्या हिन्दू, इस्लाम, आदि धर्म है?

संस्कार का प्रभाव

गुस्से को नियंत्रित करने का एक सुंदर उदाहरण

परमात्मा कहां रहता है