यजुर्वेद पाठ के लाभ

 यजुर्वेद पाठ के लाभ निम्नलिखित हैं: 1. *आध्यात्मिक विकास*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से आध्यात्मिक विकास होता है, और व्यक्ति के जीवन में आत्म-ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति होती है। 2. *शांति और समृद्धि*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 3. *नकारात्मक ऊर्जा का नाश*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 4. *स्वास्थ्य लाभ*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ होता है, और व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। 5. *धन और समृद्धि*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 6. *संतान सुख*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से संतान सुख की प्राप्ति होती है। 7. *वैवाहिक जीवन में सुख*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 8. *व्यवसाय में सफलता*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से व्यवसाय में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 9. *बाधाओं का नाश*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से बाधाओं का नाश होता है, और व्यक्ति के जीवन में सफलता और समृद्धि...

शिक्षा से बड़ा तजुर्बा है।

 एक राजा की बेटी की शादी होनी थी। बेटी की यह शर्त थी कि जो भी 20 तक की गिनती सुनाएगा, वही राजकुमारी का पति बनेगा। गिनती ऐसी होनी चाहिए जिसमें सारा संसार समा जाए। जो यह गिनती नहीं सुना सकेगा, उसे 20 कोड़े खाने पड़ेंगे। यह शर्त केवल राजाओं के लिए ही थी।


अब एक तरफ राजकुमारी का वरण और दूसरी तरफ कोड़े! एक-एक करके राजा-महाराजा आए। राजा ने दावत का आयोजन भी किया। मिठाई और विभिन्न पकवान तैयार किए गए। पहले सभी दावत का आनंद लेते हैं, फिर सभा में राजकुमारी का स्वयंवर शुरू होता है।


एक से बढ़कर एक राजा-महाराजा आते हैं। सभी गिनती सुनाते हैं, जो उन्होंने पढ़ी हुई थी, लेकिन कोई भी ऐसी गिनती नहीं सुना पाया जिससे राजकुमारी संतुष्ट हो सके।


अब जो भी आता, कोड़े खाकर चला जाता। कुछ राजा तो आगे ही नहीं आए। उनका कहना था कि गिनती तो गिनती होती है, राजकुमारी पागल हो गई है। यह केवल हम सबको पिटवा कर मज़े लूट रही है।


यह सब नज़ारा देखकर एक हलवाई हंसने लगा। वह कहता है, "डूब मरो राजाओं, आप सबको 20 तक की गिनती नहीं आती!"


यह सुनकर सभी राजा उसे दंड देने के लिए कहने लगे। राजा ने उससे पूछा, "क्या तुम गिनती जानते हो? यदि जानते हो तो सुनाओ।"


हलवाई कहता है, "हे राजन, यदि मैंने गिनती सुनाई तो क्या राजकुमारी मुझसे शादी करेगी? क्योंकि मैं आपके बराबर नहीं हूँ, और यह स्वयंवर भी केवल राजाओं के लिए है। तो गिनती सुनाने से मुझे क्या फायदा?"


पास खड़ी राजकुमारी बोलती है, "ठीक है, यदि तुम गिनती सुना सको तो मैं तुमसे शादी करूँगी। और यदि नहीं सुना सके तो तुम्हें मृत्युदंड दिया जाएगा।"


सब देख रहे थे कि आज तो हलवाई की मौत तय है। हलवाई को गिनती बोलने के लिए कहा गया।


राजा की आज्ञा लेकर हलवाई ने गिनती शुरू की:


"एक भगवान,  

दो पक्ष,  

तीन लोक,  

चार युग,  

पांच पांडव,  

छह शास्त्र,  

सात वार,  

आठ खंड,  

नौ ग्रह,  

दस दिशा,  

ग्यारह रुद्र,  

बारह महीने,  

तेरह रत्न,  

चौदह विद्या,  

पन्द्रह तिथि,  

सोलह श्राद्ध,  

सत्रह वनस्पति,  

अठारह पुराण,  

उन्नीसवीं तुम और  

बीसवां मैं…"


सब लोग हक्के-बक्के रह गए। राजकुमारी हलवाई से शादी कर लेती है! इस गिनती में संसार की सारी वस्तुएं मौजूद हैं। यहाँ शिक्षा से बड़ा तजुर्बा है। 

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