हवन की सामान्य जानकारी
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
हवन की सामान्य जानकारी
1.जितना लिखा उतना ही हवन.
घृत की मात्रा जितनी लिखी 5- 6 ग्राम.ऋषि की आज्ञा में ही समृद्धि.
2.उचित मात्रा में घृत एवं शाकल्य से ही उचित लाभ.अन्यथा वातावरण में अधिक कॉर्बन डाई गैस (समिधा से निकलने वाली गैस/धुंआ/गन्दी गैस) से वातावरण अशुद्ध होकर लाभ के स्थान पर हानिकारक होगा.
दमा हो सकता है, फेफड़ों के लिए हानिकारक, रक्त अशुद्ध हो सकता है.
3.अधिक लाभ लेने के लिए ऋतु के अनुकूल अलग -अलग शाकल्य का उपयोग करे.(२ मास की एक ऋतु, वर्ष में ६ ऋतु होती हैं)
4.बाह्य दिखावे के स्थान सदैव यह स्मरण रखे कि मेरे सभी कार्यों को हर क्षण ईश्वर देख रहा है.
5.थोड़ा आध्यात्मिक दृष्टि से विचार करे कि सभी पदार्थ ईश्वर के ही हैं.हमें तो मात्र उपयोग (हवन,दान) करना है.होते हुए भी यदि उपयोग न कर सको तो संसार में आपसे बढ़कर दरिद्र कौन ?
6.घृत,शाकल्य ...आदि सभी पदार्थ उसी ईश्वर के हैं, इनका उपयोग करना भी उसी की आज्ञा है.पालन करना हमारा कर्त्तव्य/धर्म है और न पालन करना अवज्ञा है.
7.उसकी आज्ञा में हमारी भलाई है
क्यों ?
क्योंकि हवन की औषधीय वायु में प्राणायाम करने से रक्त शुद्धि. शुद्ध रक्त से रोग उत्पन्न नहीं होते.अन्यथा अनेकों रोग हमारा स्वागत करते ही हैं
8.शरीर को स्वस्थ रखने का सर्वप्रथम मार्ग है -- शुद्ध वातावरण/वायु में प्राणायाम .
9.हवन के अन्य विशेष लाभ --
१.सदैव स्वस्थ रहने का मार्ग...
२.ईश्वर का सदैव सान्निध्य ...
३.संतानों/परिवार के सदस्यों को सुमार्ग पर चलने की प्रेरणा
४.सुख -शांति की ओर ...(स्वर्ग)
५.पापों से बचे रहते हैं ...
६.शुभ कर्मों से अच्छे संस्कार
७.शुभ कर्मों का शुभ फल अगले जन्म/जन्मों में भी ...(पिछले कर्मों के आधार पर ही अगला जन्म होता है)
(सुख विशेष को ही स्वर्ग कहते है, यहीं इसी पृथिवी पर.अन्य आकाश आदि में स्वर्ग की कल्पना मिथ्या है)
10.यज्ञादि कर्मों से सुमार्ग अन्यथा यदि कुसंगति प्राप्त हो गई तो पतन निश्चित है .कुमार्ग से दुःख,अशांति अर्थात् नरक.
11.मूर्ख व्यक्ति ज्ञान न होने के कारण प्राप्त धन आदि का सदुपयोग नहीं कर पाता,इसलिए सत्संग,प्रवचन,स्वाध्याय (मोक्ष शास्त्रों का अध्ययन) आदि से नित्य ज्ञान बढ़ाते रहना चाहिए ...
12.ये वैदिक लेख (अति संक्षिप्त बिंदु) तो मात्र प्रेरणा हेतु हैं.मूल शास्त्रों का ही सबको अध्ययन करना ही चाहिए
13.हवन आदि से स्वस्थ्य शरीर होगा तो मोक्ष प्राप्ति के लिए नित्य 'ईश्वर का ध्यान ' भी भली प्रकार होता रहेगा.
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें