सनातन धर्म के 13 सुत्र
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सनातन धर्म के 13 सुत्र
*1.प्रश्न :- तुम कौन हो ?*
उत्तर :- भारतीय / आर्य ।
*2. प्रश्न :- तुम्हारा धर्म क्या है ?*
उत्तर :- सत्य सनातन वैदिक धर्म .
*3. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म ग्रंथ क्या है ?*
उत्तर :- चार वेद, चार उपवेद, चार ब्राह्मण ग्रंथ, छ: वेदांग, ग्यारह उपनिषद, छ: दर्शन शास्त्र, मनुस्मृति, वाल्मीकि रामायण, वेदव्यास कृत महाभारत, सत्यार्थ प्रकाश, ऋगवेदादिभाष्यभूमिका।
*4. प्रश्न:- तुम्हारे ईश्वर का मुख्य नाम क्या है ?*
उत्तर :- ईश्वर का मुख्य नाम ओ३म् है
*5. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का चिन्ह क्या है ?*
*उत्तर :- चोटी और जनेऊ है।*
*6. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म की प्रथम आज्ञा क्या है ?*
उत्तर :- *सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमदः । आचारस्य प्रियं धनमाहृत्य प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः ॥*
अर्थात सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो, स्वाध्याय ( स्वयं को धर्म पुस्तकों अनुसार पढने में ) में आलस्य मत करो। अपने श्रेष्ठ कर्मों से साधक को कभी मन नहीं चुराना चाहिए।
*7. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का मूलमंत्र क्या है ?*
उत्तर:- वेदों का मूल मंत्र गायत्री मंत्र हैं।
*ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।* भावार्थ:- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
*8. प्रश्न :- तुम्हरी जीवन यात्रा क्या है ?*
उत्तर:- योग से मोक्ष तक पहुँचना।
*9 प्रश्न :- .तुम्हारे धर्म का कर्म क्या है ?*
उत्तर:- ऋषियों ने ये बोध कराने हेतु पाँच महायज्ञों का विधान किया।
१. ब्रह्मयज्ञ = सन्ध्या व वेद स्वाध्याय
२. देवयज्ञ = अग्निहोत्र
३. पितृयज्ञ = माता-पिता की सेवा
४. अतिथियज्ञ = घर आए विद्वानों की सेवा
५. बलिवैश्वदेव यज्ञ = सहयोगी प्राणियों पशु आदि की सेवा।
*10. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का सिद्धांत क्या है ?*
उत्तर :- *वसुधैव कुटुम्बकम्* सारी पृथ्वी एक कुटुंब/परिवार के समान।” तथा
विश्व का कल्याण हो ।
*11. प्रश्न :- तुम्हारे धर्म के लक्षण क्या है ?*
उत्तर :- दस लक्षण हैं।....
*धर्ति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचम् इन्द्रियनिग्रह धीविर्द्दया सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।*
१.धृति सुख,दुःख ,हानि,लाभ,मान,अपमान मे धैर्य रखना
२.क्षमा- शरीर मे सामर्थ्य होने पर भी बुराई का प्रतिकार न करना या बदला न लेना क्षमा है।
३.दम-मन मे अच्छी बातो का चिंतन करना बुरी बातों को दबाना हटाना
४.अस्तेय-बिना दूसरे की आज्ञा के कोई वस्तु न लेना चोरी न करना
५.शौच-शरीर की आत्मिक और शारीरिक शुद्धि रखना
६-इन्द्रियनिग्रह हाथ,पांव,आंख,मुख,नाक आदिको अच्छे कार्यो मे लगाना।इन्द्रियों को संयम में रखना।
७.धी-बुद्धि बढाने हेतू प्रयत्न करना
८.विद्या-ईश्वर द्वारा बनाये गए प्रत्येक पदार्थ का ज्ञान प्राप्त करना तथा उनसे उपयोग लेना
९.सत्य-जो हम जानते है उसको वैसा ही अपने द्वारा कहना मानना सत्य कहलाता है।हमेशा सत्य ही बोलना।
१०.अक्रोध-इच्छा से उत्पन्न क्रोध
*12.प्रश्न :- तुम्हारे धर्म का उदेश्य क्या है ?*
उत्तर :- *कृण्वन्तो विश्वमार्यम्* जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य ( श्रेष्ठ /उत्तम) बनाते चलो।
*13- प्रश्न:- तुम्हारी धार्मिक नीति क्या है ?*
उत्तर :- *अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च:* l अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है और धर्म रक्षार्थ हिंसा भी उसी प्रकार श्रेष्ठ है ।
*प्रश्नकर्ता : इस तरह तो वैदिक धर्म सबसे उत्तम है और विश्व शांति का आधार है। ऐसा मानवतावादी प्रकृतिवादी अहींसावादी कोई भी मज़हब नहीं है मैं भी आज वैदिक धर्मी स्वीकार करता हूँ और अपने आचरण को शुद्ध करके आर्य बनने का प्रयास करता हूँ। सबसे अपील करता हूँ लौटो वेदों कि ओर और आर्य बनो भारत भूमि को पुन: आर्यावर्त बनाएँ ।
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