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यजुर्वेद पाठ के लाभ

 यजुर्वेद पाठ के लाभ निम्नलिखित हैं: 1. *आध्यात्मिक विकास*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से आध्यात्मिक विकास होता है, और व्यक्ति के जीवन में आत्म-ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार की प्राप्ति होती है। 2. *शांति और समृद्धि*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 3. *नकारात्मक ऊर्जा का नाश*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 4. *स्वास्थ्य लाभ*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ होता है, और व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। 5. *धन और समृद्धि*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 6. *संतान सुख*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से संतान सुख की प्राप्ति होती है। 7. *वैवाहिक जीवन में सुख*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 8. *व्यवसाय में सफलता*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से व्यवसाय में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 9. *बाधाओं का नाश*: यजुर्वेद पाठ के माध्यम से बाधाओं का नाश होता है, और व्यक्ति के जीवन में सफलता और समृद्धि...

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आरोग्य अमृत सोमरस

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  हरड़े भरड़े आँवले, लो तीनों सम तोल। कूट पीसकर छानिए, त्रिफला है अनमोल।। पाँच भाँति के नमक से, करो चूर्ण तैयार। दस्तावर है औषधि, कहते पंचसकार।। ताजे माखन में सखी, केसर लेओ घोल। मुख व होठों पर लगा, रंग गुलाब अमोल।। सूखी मेंथी लीजिए, खाएँ मन अनुसार। किसी तरह पहुँचे उदर, मेटे बहुत विकार।। ठंड जुकाम भारी लगे, नाक बंद हो जाय। अजवायन को सेंककर, सूंघे तो खुल जाय।। चर्म रोग में पीसिए, अजवायन को खूब। लेप लगाओ साथिया, मिलता लाभ बखूब।। फोड़े फुंसी होय तो, अजवायन ले आय। नींबू रस में पीसकर, औषध मान लगाय।। अजवाइन गुड़ घी मिला, हल्का गर्म कराय। वात पित्त कफ संतुलन, सर्दी में हो जाय।। भारी सर्दी पोष की, करती बेदम हाल। अदरक नींबू शहद को, पीना संग उबाल।। मेथी अजवायन उभय, हरती उदर विकार। पाचन होता संतुलित, खाएँ किसी प्रकार।। अदरक के रस में शहद, लेना सखे मिलाय। पखवाड़े नियमित रखो, श्वाँस कास मिट जाय। मक्का की रोटी भली, खूब लगाओ भोग। पाचन के संग लाभ दे, क्षय में रखे निरोग।। छाछ दही घी दूध ये, शुद्ध हमारा भोज। गाय पाल सेवा करो, मेवा पाओ रोज।। गाजर रस मय आँवला, पीना पूरे मास। रक्त बने भरपूर तो, नयनन भरे उजास...

ऋषियों ने ब्रह्मचर्य की महिमा का गान बडे़ ही मार्मिक शब्दों में किया है!

 🔥 ऋषियों ने ब्रह्मचर्य की महिमा का गान बडे़ ही मार्मिक शब्दों में किया है! =================  ”मरणं बिन्दु पातेण जीवन बिंदु धारयेत“ ॥हयो-३.८८॥   यह श्लोक बताता है कि बिंदु अर्थात् वीर्य का पतन मृत्यु की ओर ले जाता है एवं वीर्य को धारण करना व्यक्ति को जीवन प्रदान करता है। जीवित कौन? आँखों पर चश्मा, सफेद बाल, पिचके हुए गाल, लड़खड़ाते कदम, झोले व दवाईयाँ क्या यही जीवन की परिभाषा है? क्या सृष्टा का अनुपम उपहार मानव जीवन यही है जिसको पाने के लिए देवता भी तरसते हैं? अधिकाँश व्यक्ति जिंदा लाश बनते चले जा रहे हैं जिनको किसी प्रकार अपने जीवन की अवधि पूरी करनी हैं यही कारण है आत्महत्या करने के १०१ उपाय जैसी किताबें विदेशों में खूब बिकती हैं परन्तु भारत के ऋषि जीवन की यह परिभाषा स्वीकार नही करते,     ”वही जीवित है जिसका मस्तिष्क ठंडा, रक्त गर्म और पुरुषार्थ प्रखर है।“   ऋषि कहते है ‘जीवेम शरद शतम्’ यदि आप जीवन के साथ खिलवाड़ नही करते तो १०० शरद ऋतु आराम से पार कर सकते हैं ऋषि ने शरद ऋतु की बात कही है। प्राणवान व्यक्ति ही शरद ऋतु का आनन्द ले सकता है अर्थात् हम स...

*पति-पत्नी दोनों मिल खूब कमाते हैं* *तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं

 *पति-पत्नी दोनों मिल खूब कमाते हैं*  *तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं* *सुबह आठ बजे नौकरियों*   *पर जाते हैं*  *रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं* *अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं*  *अकेले रह कर वह कैरियर बनाते हैं* *कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं*  *भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं* *मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं*  *अपने नन्हे मुन्ने को पाल नहीं पाते हैं* *फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते हैं*  *उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं* *परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है*  *केवल आया'आंटी' को ही पहचानता है* *दादा-दादी, नाना-नानी कौन होते है ?* *अनजान है सबसे किसी को न मानता है* *आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है*  *टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है* *यूनिफार्म पहना के स्कूल कैब में बिठाती है*  *छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है* *नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है*  *जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है* *उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है*  *कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है* *जो टीचर मैम बताती है व...

मृत्यु के १४ प्रकार

 *मृत्यु के १४ प्रकार* ➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖ राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा? रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे? अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते - साँस तो लुहार की धौंकनी भी लेती है! तब अंगद ने मृत्यु के 14  प्रकार बताए- कौल कामबस कृपिन विमूढ़ा। अतिदरिद्र अजसि अतिबूढ़ा।। सदारोगबस संतत क्रोधी। विष्णु विमुख श्रुति संत विरोधी।। तनुपोषक निंदक अघखानी। जीवत शव सम चौदह प्रानी।। 1. *कामवश:* जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है। वह अध्यात्म का सेवन नहीं करता है, सदैव वासना में लीन रहता है। 2. *वाममार्गी:* जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले, जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो; नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं। 3. *कंजूस:* अति कंजूस...

अंतिम संस्कार सेवा funeral ceremony service

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"हमारी अंतिम संस्कार सेवा आपके प्रियजनों के लिए एक सम्मानजनक और शांतिपूर्ण विदाई प्रदान करने के लिए समर्पित है। हम समझते हैं कि इस कठिन समय में आपको सहारे और समर्थन की आवश्यकता होती है, और हमारा उद्देश्य आपको इस प्रक्रिया में सहायता करना है। हमारी सेवाओं में शामिल हैं: अंतिम संस्कार की व्यवस्था शव यात्रा की व्यवस्था अंतिम संस्कार स्थल की व्यवस्था पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों की व्यवस्था हमारा उद्देश्य आपके प्रियजनों को एक सम्मानजनक और शांतिपूर्ण विदाई देना है, जो आपके लिए एक सुखद अनुभव प्रदान करे।"

आर्यसमाज का मंतव्य क्या है?

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  आर्यसमाज का मंतव्य क्या है? आज एक मित्र मिला। वह फेसबुक से मुझसे जुड़ा हुआ है। कट्टर पौराणिक है। सामान्य चर्चा के बाद बोला तुम आर्यसमाजी जब देखों सनातन धर्म की कमी निकालते रहते हो। जब देखों निंदा करते रहते हो। मैंने कहा तुम्हारा उत्तर एक कहानी के माध्यम से दूँ तो कैसा रहेगा।  वह बोला सुनाओ। मैंने सुनाना शुरू किया- "एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था । चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे पर लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था। तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे। उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी...

वेलेंटाइन डे मनाने से पहले उसका इतिहास जान लो, फिर आप मनाओगे मातृ-पितृ पूजन दिवस

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 *वेलेंटाइन डे मनाने से पहले उसका इतिहास जान लो, फिर आप मनाओगे मातृ-पितृ पूजन दिवस* 14 February 2025 *🚩भारत में अधिकतर लोग नहीं जानते हैं कि वेलेंटाइन डे की शुरुआत कैसे हुई और यह क्यों मनाया जा रहा है। इससे हमें फायदा होगा या नुकसान, ये हमारी संस्कृति के अनुसार है कि नहीं- इस पर तनिक भी विचार न कर टीवी-सिनेमा मीडिया में दिखाई जाने वाली चीजों से प्रभावित होकर लोग उनकी नकल करने लग जाते हैं।* *🚩आइये आज आपको वैलेंटाइन डे का सच्चा इतिहास बताते हैं......* *🚩रोम के राजा क्लाउडियस ब्रह्मचर्य की महिमा से परिचित थे, इसलिए उन्होंने अपने सैनिकों को शादी करने के लिए मना किया था ताकि वे शारीरिक बल और मानसिक दक्षता से युद्ध में विजय प्राप्त कर सकें। रोम के चर्च के ईसाई धर्मगुरु वेलेंटाइन जो स्वयं ईसाई पादरी होने के कारण बाहर से नहीं दिखा सकते थे कि वे ब्रह्मचर्य के विरोधी हैं इसलिए पादरी वेलेंटाइन ने गुप्त ढंग से सैनिकों की शादियाँ कराईं। राजा को जब यह बात पता चली तो उन्हें दोषी घोषित किया और इस पादरी वेलेंटाइन को 14 फरवरी के दिन फाँसी दे दी गयी। सन् 496 से ईसाई पोप गैलेसियस ने उनकी याद में 14...

वैदिक कर्मफल व्यवस्था

 वैदिक कर्मफल व्यवस्था सुख दुख का कारण मनुष्य के कर्म (काम या कार्य) हैं, ग्रह नहीं। मनुष्य जैसा काम करता है वैसा ही फल पाता है। ऐसा काम जिससे किसी का भला हुआ हो उसके बादले में ईष्वर की व्यवस्था से सुख प्राप्त होता है और ऐसा काम जिससे किसी का बुरा हुआ हो उसके बदले में मनुष्य को दुख मिलता है। ईष्वर पूर्ण रूप से न्यायकारी है। वह किसी की सिफारिष नहीं मानता। वह रिष्वत नहीं लेता। उसका कोई एजेंट या पीर, पैगम्बर या अवतार नहीं है। अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के कामों का फल अलग अलग भोगना पड़ता है। वे एक दूसरे को काटकर बराबर नहीं करते। अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के कामों का अलग अलग हिसाब रहता है। ऐसा नहीं है कि एक अच्छा काम कर दिया और एक उतना ही बुरा काम कर दिया ओर वे बराबर होकर कट गए और हमें कोई फल न मिले। दोनों का अलग अलग फल भोगना पड़ता है। अच्छे और बुरे कामों के फलस्वरूप सुख और दुख साथ साथ भी चल सकते हैं। कुछ अच्छे कामों का फल हम भोग रहे हैं, साथ ही कुछ बुरे कार्यों का फल भी भोग रहे हैं। मनुष्य जन्म में किए कामों के अनुसार ही आगे का जन्म मिलता है। अगर बुरे काम की बजाए अच्छे काम ज्यादा हों ...